नई दिल्ली, 26 जून . एक शोध में यह बात सामने आई है कि सोशल मीडिया का उपयोग सभी किशोरों में डिप्रेशन का कारण नहीं बनता. बल्कि माता-पिता का बेकार व्यवहार और साथियों द्वारा उत्पीड़न किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है.
प्रारंभिक सोशल मीडिया उपयोग को पहले किशोरों और युवा वयस्कों में डिप्रेशन के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया.
जर्नल ऑफ एडोलसेंस में प्रकाशित निष्कर्ष बताते हैं कि सोशल मीडिया का उपयोग सभी किशोरों पर एक जैसा प्रभाव नहीं डालता है.
अमेरिका में ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ कारक डिप्रेशन के संबंध में सोशल मीडिया को अधिक जोखिमपूर्ण या सुरक्षात्मक बना सकते हैं.
इनमें माता-पिता का शत्रुतापूर्ण व्यवहार, साथियों द्वारा धमकाना, चिंता, तनाव के प्रति प्रतिक्रिया और माता-पिता द्वारा कम निगरानी शामिल है.
विश्वविद्यालय से संबंधित लेखक डब्ल्यू. जस्टिन डायर ने कहा, ”यदि किशोर पहले से ही असुरक्षित स्थिति में है तो सोशल मीडिया के हानिकारक होने की संभावना यहां अधिक हो जाती है.”
डायर ने कहा, ”यह बात विशेष रूप से तब सही है जब इसका उपयोग दिन में 3 घंटे से अधिक हो.”
इसके विपरीत, स्नेही और सहयोगी मित्र, माता-पिता तथा सोशल मीडिया का मध्यम मात्रा में उपयोग (दिन में 3 घंटे से कम) अच्छी बात हो सकती है.
उन्होंने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के लाभ और हानि के व्यक्तिगत दृष्टिकोण पर जोर दिया.
डायर ने कहा कि किशोरों को बहुत लाभ हो सकता है यदि उनके माता-पिता उन्हें सोशल मीडिया के प्रति जागरूक करने के साथ उनका मार्गदर्शन कर सकें. यहां मार्गदर्शन बहुत बड़ा अंतर ला सकता है.
यह अध्ययन अमेरिका में रहने वाले 488 किशोरों पर आधारित है, जिनका 8 वर्षों तक (2010 से शुरू होकर जब प्रतिभागियों की औसत आयु 13 वर्ष थी) हर साल एक बार सर्वेक्षण किया गया.
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एमकेएस/