New Delhi, 5 अगस्त . भारतीय कॉमिक्स को भारतीय रंग, भावनाएं और जमीनी किरदार देने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह नाम प्राण कुमार शर्मा का है. उन्हें हम सभी प्यार से ‘प्राण’ के नाम से जानते हैं. 6 अगस्त 2014 को उनका निधन हुआ था, लेकिन उनके गढ़े किरदार आज भी लाखों दिलों में जिंदा हैं.
चाचा चौधरी, साबू, पिंकी, बिल्लू, और श्रीमतीजी जैसे किरदार केवल कॉमिक्स के पन्नों में नहीं रहते; वे हर भारतीय बच्चे की याद, उनकी हंसी और सोच में बसे हुए हैं. प्राण को ‘भारतीय कॉमिक्स का जनक’ कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने 1960 के दशक में वो किया जो तब कोई सोच भी नहीं सकता था. विदेशी कार्टूनों के दौर में एक पूरी तरह देसी दुनिया रच दी, जिसमें भारतीय किरदार, भारतीय हालात और हमारी जमीन की सच्चाइयां थीं.
प्राण का जन्म 15 अगस्त 1938 को हुआ था, तब भारत आजाद नहीं हुआ था और न ही भारतीय कॉमिक्स का कोई अस्तित्व था. बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया. प्राण ने अपनी कला में भारतीय समाज की धड़कनों को महसूस किया और उसी को चित्रों में ढालना शुरू किया. उन्होंने Mumbai के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से फाइन आर्ट्स में शिक्षा ली, लेकिन असली शिक्षा उन्होंने जनता से ली, उस भारतीय मध्यमवर्ग से जो उनके हर किरदार में झलकता है. 1969 में ‘लोटपोट’ पत्रिका में चाचा चौधरी का जन्म हुआ और देखते ही देखते यह किरदार भारतीय बच्चों का हीरो बन गया. ‘चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से तेज’ था, लेकिन उसका दिल हर भारतीय बुज़ुर्ग जैसा ही था.
प्राण ने सिर्फ बच्चों का मनोरंजन नहीं किया, उन्होंने समाज को एक आईना भी दिखाया. उनके कॉमिक्स में हास्य तो होता ही था, लेकिन साथ में एक सामाजिक संदेश भी छिपा होता था. उनकी कहानियाँ ईमानदारी, समझदारी और मानवीय मूल्यों की बात करती थीं. यही वजह है कि उनके कॉमिक्स ना सिर्फ बच्चों, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों के बीच भी लोकप्रिय थे. उनके बनाए किरदारों में से साबू, जो जुपिटर ग्रह से आया एक विशालकाय दोस्त था, आज भी चाचा चौधरी की कहानियों में ताकत और सच्चाई का प्रतीक है. वहीं पिंकी और बिल्लू जैसे किरदार बच्चों की शरारतों और मासूमियत को दर्शाते हैं.
प्राण के योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचाना गया. ‘वर्ल्ड एन्साइक्लोपीडिया ऑफ कॉमिक्स’ के संपादक मौरिस हॉर्न ने उन्हें ‘भारत का वॉल्ट डिज़्नी’ कहा. 2001 में उन्हें पहले कॉमिक्स कन्वेंशन में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला. 2014 में उनके सम्मान में गूगल ने एक विशेष डूडल जारी किया, यह दिखाने के लिए कि भारतीय जनमानस में उनकी क्या जगह है. उन्होंने 500 से अधिक कॉमिक्स बनाए और उनके किरदार आज भी 10 से अधिक भाषाओं में पढ़े जाते हैं.
उनका बनाया पहला भारतीय कॉमिक-बेस्ड टीवी शो ‘चाचा चौधरी’ 600 एपिसोड तक सहारा वन चैनल पर प्रसारित हुआ, जो इस बात का सबूत है कि भारतीय कहानियां, भारतीय हीरो और देसी हास्य भी उतने ही लोकप्रिय हो सकते हैं जितना कोई विदेशी सुपरहीरो. उन्होंने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कोरिया और चीन जैसे देशों में जाकर व्याख्यान भी दिए, जिससे यह साफ है कि उनकी कला सिर्फ भारतीय नहीं, वैश्विक थी.
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पीएसके/केआर