बजट से छोटे उद्योगों को मिलेगा सहारा, एमएसएमई के लिए सरकार ने उठाए ये कदम

नई दिल्ली, 23 जुलाई सूक्ष्म, लघु और मध्यम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के लिए मंगलवार को पेश किया गया बजट काफी खास रहा. सरकार द्वारा एमएसएमई को दिए पैकेज में फाइनेंसिंग, रेगुलेटरी बदलावों और टेक्नोलॉजी सपोर्ट की बात कही गई, जिससे आसानी से देश के छोटे उद्योग आगे बढ़ पाएं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें.

अब क्रेडिट गारंटी स्कीम के अंतर्गत एमएसएमई को मशीन और उपकरण खरीदने के लिए बिना कुछ गिरवी रखे या किसी तीसरी पार्टी की गारंटी के बिना आसानी से टर्म लोन मिल पाएगा.

इस स्कीम में बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विस्तार से बताते हुए कहा कि सेल्फ-फाइनेंसिंग गारंटी फंड बनाया जाएगा. इसमें 100 करोड़ रुपये तक की गारंटी कवर होगी.

इस फंड का फायदा उठाने के लिए लोन लेने वाले एमएसएमई को एक अपफ्रंट फीस चुकानी होगी और हर साल घटती हुई लोन राशि पर वार्षिक गारंटी फीस देनी होगी.

उन्होंने आगे कहा कि बजट का स्पेशल फोकस एमएसएमई और मैन्युफैक्चरिंग विशेषकर अधिक श्रम की खपत वाली मैन्युफैक्चरिंग पर है.

वित्त मंत्री ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों को एमएसएमई को लोन देने के लिए असेसमेंट के लिए इन-हाउस कैपेबिलिटी विकसित करने का प्रस्ताव रखा है.

वित्त मंत्री की ओर से कठिन समय में एमएसएमई की बैंक क्रेडिट की सुविधा जारी रखने के लिए नया ढांचा विकसित करने का प्रस्ताव दिया गया है.

बजट में मुद्रा लोन के तहत ‘तरुण’ कैटेगरी की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है.

वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को देखते हुए एमएसएमई के व्यापारिक प्राप्तियां को कैश में बदलने के लिए ‘टीआरईडीएस’ प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्डिंग लिमिट को 500 करोड़ रुपये से घटाकर 250 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव इस बजट में रखा गया है.

वित्त मंत्री ने बताया कि सिडबी एमएसएमई तक पहुंच बढ़ाने के लिए नई ब्रांच खोलेगा. 24 नई ब्रांच इस वर्ष खोली जाएगी.

सरकार ने बजट में कहा कि एमएसएमई और पारंपरिक कलाकारों की ओर से बनाए जाने वाले उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा जाएगा. सरकार इसके लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की मदद से ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब बनाएगी.

एबीएस/एबीएम