नई दिल्ली, 23 दिसंबर . सरकार द्वारा छोटे उद्योगों के लिए अनुकूल नीतियां बनाने के कारण एमएसएमई निर्यात में चार वर्षों में तीन गुना से अधिक का उछाल देखने को मिला है.
सरकार द्वारा सोमवार को बताया गया कि एमएसएमई निर्यात 2024-25 में बढ़कर 12.39 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो कि 2020-21 में 3.95 लाख करोड़ रुपये था.
इसके साथ देश में निर्यात करने वाली सूक्ष्म, लघु और मध्यम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) की संख्या 2024-25 में बढ़कर 1,73,350 हो गई है, जो कि 2020-21 में 52,849 थी.
देश के कुल निर्यात में एमएसएमई की हिस्सेदारी में काफी बढ़ोतरी हुई है. 2023-24 में यह 45.73 प्रतिशत थी, जो कि मई 2024 में बढ़कर 45.79 प्रतिशत पर पहुंच गई थी.
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में एमएसएमई द्वारा सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2017-18 में 29.7 प्रतिशत था, जो 2022-23 में बढ़कर 30.1 प्रतिशत हो गया है.
कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न अभूतपूर्व चुनौतियों के बावजूद, एमएसएमई का 2020-21 में योगदान 27.3 प्रतिशत रहा, जो 2021-22 में बढ़कर 29.6 प्रतिशत हो गया.
1 जुलाई, 2020 से लेकर 24 जुलाई, 2024 के बीच बड़ी संख्या में छोटे उद्यम, मध्यम उद्यमों में परिवर्तित हुए हैं.
मंत्रालय ने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 से 2021-22 के दौरान 714 सूक्ष्म उद्यमों और 3,701 लघु उद्यमों ने मध्यम स्तर के उद्यमों का दर्ज हासिल किया है.
इस संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी गई और 2023-24 से लेकर 2024-25 तक यह आंकड़ा और बढ़ गया है. इस दौरान 2,372 सूक्ष्म उद्यमों और 17,745 लघु उद्यमों ने मध्यम स्तर का दर्जा हासिल किया.
मंत्रालय ने कहा कि भारत तेजी से खुद को ग्लोबल इकोनॉमिक पावरहाउस के रूप में स्थापित कर रहा है. एमएसएमई सेक्टर में इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है. इसके माध्यम से देश में इनोवेशन को आगे बढ़ाने, रोजगार पैदा करने और निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद मिल रही है.
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एबीएस/