छोटी हरड़: प्रकृति का उपहार, आपके संपूर्ण स्वास्थ्य का रक्षक

New Delhi, 15 जुलाई . छोटी हरड़ को हरीतकी भी कहते हैं. यह एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है. यह एक मध्यम आकार का पर्णपाती पेड़ है जो 30 मीटर (98 फीट) तक लंबा होता है. हरड़ का उपयोग पाचन, कब्ज, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए किया जाता है.

छोटी हरड़ का वैज्ञानिक नाम ‘टर्मिनलिया चेबुला’ है. इसके फल को गुठली बनने से पहले ही तोड़कर सुखाया जाता है; उसे ही छोटी हरड़ बोलते हैं. इसका रंग आमतौर पर स्याह पीला या भूरा होता है. इसका पौधा मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है.

वैद्यक ग्रंथों में लिखा है कि जन्म देने वाली माता धोखा दे सकती है, मगर पेट में गई हुई हरड़ धोखा नहीं दे सकती. कहने का भाव है कि जैसे माता बालक को कोई कष्ट नहीं होने देती, उसी प्रकार हरड़ का सेवन करने से यदि दस्त भी लग जाए तो पेट में दर्द या जलन नहीं होगी, अपितु सहजता से विरेचन कर काया को निरोगी बनाती है.

चरक संहिता के अनुसार, छोटी हरड़ एक प्राकृतिक रेचक है, जो कब्ज से राहत दिलाने, मल त्याग को नियमित करने और अपच, गैस व पेट फूलने जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है. साथ ही यह शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने में मदद करता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है.

यह मधुमेह रोगियों के लिए भी उपयोगी है क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं.

इसके रक्त-शुद्धि और कायाकल्प गुणों के कारण यह त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे मुंहासे, दाने और सूजन में लाभकारी हो सकती है. यह बालों के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है.

खांसी, जुकाम, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं में इसका उपयोग किया जाता है. यह बलगम को पतला करके फेफड़ों से बाहर निकालने में मदद करती है और सांस लेने में आसानी प्रदान करती है. हालांकि किसी भी चिकित्सीय सलाह के बगैर इसका सेवन नहीं करना चाहिए.

एनएस/केआर