लखनऊ, 2 अगस्त . समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता फखरुल हसन चांद ने दावा किया है कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची से विपक्षी समर्थकों के वोटर्स का नाम हटाया गया है.
से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर मतदाताओं को निशाना बनाया गया, जिसे वे लोकतंत्र के लिए खतरा मानते हैं. उन्होंने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि तब भी सपा समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे, और इसके खिलाफ शपथ पत्र के साथ सबूत देने के बावजूद चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की.
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में भी एक अधिकारी को धोखाधड़ी करते पकड़ा गया था, लेकिन चुनाव आयोग ने उस पर भी कोई कदम नहीं उठाया और अंततः Supreme court को हस्तक्षेप करना पड़ा.
एसआईआर प्रक्रिया और चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इससे जनता व विपक्ष का भरोसा टूट रहा है. उन्होंने ड्राफ्ट मतदाता सूची में बड़ी संख्या में नाम काटे जाने पर चिंता जताई और कहा कि अगर बूथ स्तर पर निष्पक्ष सत्यापन होता है, तो उनकी पार्टी इसका समर्थन करेगी. हालांकि, एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल हैं, और सपा का मानना है कि हटाए गए ज्यादातर नाम विपक्षी मतदाताओं के हैं.
मालेगांव ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है. देश संविधान से चलता है और यहां एक न्यायिक प्रक्रिया है, जिसके तहत फैसला आया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे पर उन्होंने कहा कि वाराणसी में जलभराव और ट्रैफिक की समस्या आज भी बनी हुई है, जो किसी से छिपी नहीं है. उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी कई समस्याओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उन वादों का क्या हुआ जो यहां की जनता से किए गए थे.
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डीकेएम/एएस