सिम्पसन को हमेशा सच्चे महान खिलाड़ियों में याद किया जाएगा, जय शाह ने दी ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज को श्रद्धांजलि

New Delhi, 17 अगस्त . पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान बॉब सिम्पसन के निधन पर आईसीसी अध्यक्ष जय शाह ने गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि सिम्पसन का क्रिकेट में योगदान बहुत बड़ा है और उन्हें सच्चे महान खिलाड़ियों में हमेशा याद किया जाएगा.

क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अनुसार, बॉब सिम्पसन का सिडनी में 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.

जय शाह ने कहा, “बॉब सिम्पसन हमारे खेल के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक थे. उनके जाने की खबर बहुत दुखद है. खिलाड़ी, कप्तान और बाद में कोच के रूप में उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को नई दिशा दी और पूरी दुनिया के खेल को प्रेरित किया.”

उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने खिलाड़ियों की एक ऐसी पीढ़ी का मार्गदर्शन किया जो आगे चलकर अपने आप में लीजेंड बन गए. उनका प्रभाव मैदान से कहीं आगे तक फैला हुआ था. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की ओर से, मैं उनके परिवार, दोस्तों और पूरे क्रिकेट जगत के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं. उनका निधन खेल के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और संजोया जाएगा.”

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भी 16 अगस्त को ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान बॉब सिम्पसन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया था. गांगुली ने सिम्पसन को ‘सज्जन व्यक्ति’ बताया. सौरव गांगुली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आरआईपी बॉब सिम्पसन, 1999 विश्व कप की यादें और लंकाशायर में आपके साथ बिताया गया समय हमेशा मेरे दिल और यादों में रहेगा. आप दिल से एक सज्जन व्यक्ति थे.”

सिम्पसन आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल थे. उन्होंने 1957 से 1978 के बीच ऑस्ट्रेलिया के लिए 62 टेस्ट मैच खेले. इस दौरान उन्होंने 4,869 रन बनाए, जिसमें 10 शतक, 27 अर्धशतक और 311 रन की सर्वाधिक पारी शामिल है. उनका बल्लेबाजी औसत 46.81 रहा.

वे बेहतरीन लेग-स्पिन गेंदबाज भी थे. उन्होंने 71 विकेट झटके, जिनमें दो बार पांच विकेट शामिल रहे. साथ ही, वे शानदार फील्डर थे और अपने करियर में 110 कैच पकड़े.

1968 में संन्यास लेने के बाद भी सिम्पसन ने 1978 में 41 वर्ष की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में वापसी की और कमजोर ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी संभाली.

बाद में वे ऑस्ट्रेलिया के पहले पूर्णकालिक कोच बने और राष्ट्रीय चयनकर्ता की भूमिका भी निभाई. 1999 में वे भारतीय टीम के सलाहकार रहे और इंग्लैंड में लीसेस्टरशायर व लंकाशायर टीमों को भी कोच किया.

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