गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतें डिमेंशिया के जोखिम को करती हैं कम

नई दिल्ली, 22 जुलाई . एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप स्मार्टफोन और गूगल को समय देने के बजाय सरल दैनिक आदतों की ओर ध्‍यान दें तो यह आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के जोखिम को भी कम कर सकता है.

वाटरलू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहम्मद आई. एल्मासरी ने अपनी नई पुस्तक आईमाइंड: आर्टिफिशियल एंड रियल इंटेलिजेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तुलना में सरल दैनिक आदतों पर ध्यान देने को कहा है. उन्होंने कहा है कि लोगों का फोकस सेल्फ लर्निंग से हटकर गूगल पर निर्भर हो गया है, जिसके गंभीर दूरगामी परिणाम हो सकते है.

उन्होंने अपनी किताब आईमाइंड में कहा है कि कोई भी चीज मानव मस्तिष्क-मन की क्षमता, भंडारण, दीर्घायु, ऊर्जा दक्षता या आत्म उपचार क्षमताओं की नकल नहीं कर सकती. वर्तमान स्मार्टफोन की उपयोगी जीवन प्रत्याशा लगभग 10 वर्ष है. जबकि एक स्वस्थ मानव शरीर के अंदर एक स्वस्थ मस्तिष्क-मन 100 वर्ष या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकता है.

स्मार्ट डिवाइस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन वह मानव मस्तिष्क की भंडारण क्षमता या स्व-उपचार क्षमताओं की नकल कभी नहीं कर सकते.

इस किताब में मनोभ्रंश के कारण होने वाले व्यक्तिगत नुकसान के बारे में बात की गई है.

उन्होंने मस्तिष्क की दीर्घकालिक क्षमता की तुलना स्मार्टफोन के सीमित जीवनकाल से करते हुए कहा कि यदि स्वस्थ मस्तिष्क का पोषण किया जाए तो वह 100 वर्षों से अधिक समय तक चल सकता है.

दैनिक मस्तिष्क व्यायाम जैसे मेमोरी वर्कआउट, एसोसिएटिव मेमोरी विकसित करना, शराब को नियंत्रित करना, आराम करना और नियमित झपकी लेना जैसे दैनिक व्यायाम मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं.

एमकेएस/