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देहरादून, 28 नवंबर . देहरादून में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन-2025 के अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने Friday को वीडियो संदेश के माध्यम से प्रतिभागियों को संबोधित किया. उन्होंने इस महत्वपूर्ण आयोजन का स्वागत करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संस्थानों के सहयोग से आयोजित यह सम्मेलन आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है.
सीएम भूपेंद्र यादव ने उत्तराखंड राज्य की स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर राज्य की जनता को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पिछले 25 वर्षों में राज्य ने चुनौतियों के बावजूद राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर एक प्रगतिशील पहचान स्थापित की है. उन्होंने संदेश में कहा कि Prime Minister Narendra Modi के मार्गदर्शन में राज्य के Chief Minister पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की प्रगति को नई दिशा प्रदान की है. यादव ने कहा कि Prime Minister का हिमालय से विशेष अनुराग रहा है और उन्होंने हिमालय के विषयों, संदर्भों, संरक्षण और सुरक्षा के विषयों को हमेशा से सामने रखा है.
उन्होंने कहा कि हिमालय हमारा गौरव है और हिमालय India की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और जैव विविधता की धरोहर है. उन्होंने कहा कि हिमालय से निकली नदियां भारतीय सभ्यता की आधारशिला हैं. यादव ने जोर देते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय पटल पर हिमालय को निरंतर केंद्र में रखने की आज आवश्यकता है.
उन्होंने अपने संदेश में बताया कि विश्वभर में जलवायु परिवर्तन और मानवजनित कारणों से आपदाओं की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिसके लिए वैश्विक स्तर पर ठोस रणनीति की आवश्यकता है. Union Minister ने जानकारी देते हुए बताया कि Prime Minister द्वारा प्रस्तावित 10 सूत्रीय कार्यक्रम को विश्वभर में सराहनीय समर्थन प्राप्त हुआ है, जो India की नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि India ने Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व में कोलिजन फॉर डिजास्टर रेसिलेन्स इंफ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) जैसा वैश्विक संगठन बनाया है जो आपदा जैसे विषयों पर उत्कृष्ट कार्य कर रहा है.
भूपेंद्र यादव ने कहा कि ‘सिल्क्यारा विजय अभियान’ ने यह सिद्ध किया है कि कठिन परिस्थितियों में मजबूत इच्छाशक्ति, कुशल नेतृत्व और वैज्ञानिक दक्षता असंभव को संभव बना सकती है. यह अभियान विश्वभर के देशों के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए विज्ञान एवं तकनीक आधारित आपदा न्यूनीकरण, पूर्वानुमान और पूर्व-तैयारी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. आधुनिक तकनीकों, अनुसंधान एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही भविष्य की आपदाओं से समुचित रूप से निपटा जा सकता है.
उन्होंने अपने संबोधन के अंत में आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन से निकलने वाले विचार, शोध और सुझाव India सहित पूरे विश्व के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे तथा बहु-आपदा केंद्रित रणनीतियों के विकास में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगे. उन्होंने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आयोजकों एवं सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं भी दीं.
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डीकेपी/