अमृतसर, 20 अप्रैल . सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने पंजाब में अटारी चेक पोस्ट पर पाकिस्तान से लौटे सिख श्रद्धालुओं का स्वागत किया. बीएसएफ ने 5,791 सिख श्रद्धालुओं के जत्थे की वापसी अत्यंत कुशलता और मानवता के साथ संपन्न कराई.
ये श्रद्धालु बैसाखी पर्व के उपलक्ष्य पर पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन के लिए पड़ोसी मुल्क गए थे. इस वर्ष जत्थे में शामिल श्रद्धालुओं की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में लगभग दोगुनी रही, जो इस धार्मिक यात्रा को ऐतिहासिक और विशेष बनाती है.
गर्मी की भीषण तपिश के बावजूद बीएसएफ जवानों ने अपनी जिम्मेदारी से कहीं आगे बढ़कर श्रद्धालुओं, विशेषकर बुजुर्गों की सेवा की और उन्हें हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराई. सुरक्षा-व्यवस्था के साथ-साथ इमिग्रेशन प्रक्रिया को भी सहज और सम्मानजनक ढंग से संपन्न किया गया, जिससे श्रद्धालुओं ने गहरी संतुष्टि और आभार व्यक्त किया.
बीएसएफ के इस कार्य ने न केवल बल की पेशेवर दक्षता को दर्शाया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि सीमा पर तैनात जवान देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के प्रति गहरी संवेदनशीलता रखते हैं. बीएसएफ की यह भूमिका उनके मानवीय कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जिसे उन्होंने गर्व और समर्पण के साथ निभाया.
उल्लेखनीय है कि खालसा साजना दिवस (वैसाखी) के मौके पर 10 अप्रैल को पूरे भारत से करीब 6,600 सिख श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारों के दर्शन के लिए रवाना हुए थे. यह जत्था अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान पहुंचा था.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की ओर से 1,942 तीर्थयात्रियों का एक विशेष जत्था तैयार किया गया था, जो “बोले सो निहाल” के जयकारों के साथ शिरोमणि कमेटी कार्यालय से रवाना हुआ था.
इस जत्थे का नेतृत्व एसजीपीसी सदस्य जंग बहादुर और उपनेता बीबी जोगिंदर कौर ने किया. ये तीर्थयात्री 10 दिन तक पाकिस्तान में रहे और 19 अप्रैल को भारत लौटे. इसके अलावा अन्य जत्थे भी भारत वापस आए.
–
डीएससी/