शेखर कपूर ने श्रीदेवी को उनकी जन्म जयंती पर याद किया

Mumbai , 13 अगस्त . Actress श्रीदेवी ने अभिनय से फिल्म इंडस्ट्री में एक खास जगह बनाई थी. भले ही वह अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें, गाने और फिल्में आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं. हर साल 13 अगस्त को उनकी जन्म जयंती मनाई जाती है. इसी कड़ी में फिल्ममेकर शेखर कपूर ने उनके लिए social media पर पोस्ट किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी है.

फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ की हीरोइन और दिवंगत Actress श्रीदेवी को उनकी जन्म जयंती पर याद किया है. उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें श्रीदेवी को ‘मिस्टर इंडिया’ फिल्म के उनके लुक में देखा जा सकता है.

शेखर कपूर ने तस्वीर के कैप्शन में लिखा, “एक पत्रकार ने मुझे कहा- आज श्रीदेवी का जन्मदिन है, क्या आप हमें इस पर कुछ बता सकते हैं? मैंने उस पत्रकार से पूछा, कितना समय है आपके पास? उसने उत्तर दिया जितना समय आपको चाहिए. मैंने उसे जवाब दिया- ‘पूरी ज़िंदगी’, इतना समय है आपके पास.”

उनके इस पोस्ट पर फैंस का उत्साह और प्यार देखने को मिल रहा है.

एक फैन ने कहा, ”ब्यूटीफुल.”

दूसरे फैन ने कहा, ”इंडिया की पहली मेगास्टार श्रीदेवी.”

अन्य फैन्स ने कमेंट्स के जरिए श्रीदेवी को श्रद्धांजलि दी.

‘मिस्टर इंडिया’ में शेखर कपूर और श्रीदेवी ने साथ काम किया था. यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है. 13 अगस्त 1963 को जन्मी श्रीदेवी की 24 फरवरी 2018 को Dubai में मौत हो गई थी.

शेखर कपूर ने इससे पहले एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा था ”नायक/नायिका की ताकत हमेशा इस बात से तय होती है कि खलनायक कितना शक्तिशाली है. जीवन में भी यही बात लागू होती है. आपकी उपलब्धियां इस बात से तय होती हैं कि आप कितनी बड़ी चुनौतियों का सामना करते हैं.”

इससे पहले फिल्ममेकर ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर के जरिए सफलता, असफलता और आत्ममूल्यांकन के असली अर्थ पर प्रकाश डाला था.

शेखर कपूर ने social media पर लिखा था, “सागर के नीचे की लहर ऊपर उठने की कोशिश करती है और ऊपरी लहर फिर नीचे गिर जाती है. यह सिर्फ समय की बात है. आपके समय का अनुभव कितना लंबा है? सफलता और असफलता के बीच का समय आप कैसे देखते हैं?”

उन्होंने बताया कि फिल्म मेकर्स समय के साथ खेलते हैं, जैसे स्लो-मोशन के जरिए समय को खींचना. लेकिन, इसके बावजूद वो अपना मूल्यांकन दूसरों की नजरों के हिसाब से करते हैं, जो खुद भी दूसरों की नजरों में अपनी कीमत तलाशते हैं.

उन्होंने लिखा, “सफलता, आत्ममूल्यांकन और असफलता… ये सब आपकी अपनी धारणा है.”

शेखर का मानना है कि असफलता कोई बाहरी हकीकत नहीं है, बल्कि खुद पर किया गया एक फैसला है. जो लोग खुद को जज करते हैं, उन्हें ही दूसरों की नजरों में आकलन का डर सताता है.

एनएस/जीकेटी