उधम सिंह नगर, 10 जुलाई . तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के हित में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद शायरा बानो खुश हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि अब तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर कर अपने पति से भरण पोषण के लिए भत्ता मांग सकती हैं.
शायरा बानो उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष भी हैं. शायरा बानो खुद तीन तलाक पीड़िता रह चुकी हैं. शायरा बानो ने तीन तलाक को लेकर साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए रिट दायर की थी. ये उनका संघर्ष ही था, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया था. इसके बाद देश में साल 2018 में तीन तलाक को लेकर कानून बना और इस तरह से तलाक देने वालों पर मुकदमा दर्ज करके जेल भेजने का प्रावधान बनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले पर शायरा बानो ने कहा कि ये फैसला तमाम मुस्लिम महिलाओं के हक में है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी. इससे तीन तलाक में भी कमी आएगी और मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक स्थिति अच्छी होगी.
शायरा बानो ने बताया कि उनके पति ने उनको अकारण ही स्पीड पोस्ट द्वारा तीन तलाक दिया था. पति प्रॉपर्टी डीलर थे और मैं एक हाउस वाइफ थी. मेरे संघर्ष में परिजनों ने सपोर्ट दिया. मैंने सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ याचिका डाली और मुझे न्याय भी मिला. तीन तलाक का कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाएं अपने लिए न्याय की गुहार लगा रही हैं.
शायरा बानो ने बताया कि तीन तलाक कानून बन जाने के बाद मुझे उत्तराखंड राज्य महिला आयोग में उपाध्यक्ष का पद दिया गया और मैं महिलाओं के लिए काम कर रही हूं. शायरा बानो लगातार पीड़ित महिलाओं के हक एवं अधिकार के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं. उन्होंने बताया कि वह महिला उत्पीड़न मामले में पहले दोनों पक्षों को बैठाकर समझाने की कोशिश करती हैं.
स्थानीय महिलाओं ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की और कहा कि इससे तीन तलाक के केस में कमी आएगी, क्योंकि कई लोग शादी के बाद कहीं और अफेयर करके अपनी पत्नी को तलाक दे देते हैं. तलाक सामान्य बात हो गई है. लेकिन, अब कोर्ट के फैसले के बाद शायद तलाक में कमी देखने को मिलेगी.
एक अन्य महिला ने कहा कि तलाक होने के बाद पति से खर्चा मिलना ही चाहिए. महिलाओं को अपने खर्चे के अलावा बच्चों को भी पालना होता है. इस कदम से महिलाओं को कुछ राहत मिलेगी. तलाक में कमी आएगी.
बता दें कि यह फैसला हर धर्म की महिलाओं पर लागू होगा और मुस्लिम महिलाएं भी इसका सहारा ले सकती हैं. इसके लिए उन्हें सीआरपीसी की धारा 125 के तहत कोर्ट में याचिका दाखिल करने का अधिकार है. इस संबंध में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाया है.
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एएस/एबीएम