शॉन पोलॉक : बेहतरीन ऑलराउंडर, जिसे दुनिया सिर्फ एक शानदार गेंदबाज के रूप में जानती है

New Delhi, 15 जुलाई . गैरी सोबर्स, कपिल देव, इमरान खान, रिचर्ड हेडली, जैक कैलिस, इयान बॉथम और आधुनिक समय में बेन स्टोक्स, इन सभी खिलाड़ियों को दुनिया के महानतम ऑलराउंडर्स की श्रेणी में रखा जाता है. हालांकि, एक और खिलाड़ी है जिसने अपनी जबरदस्त गेंदबाजी के साथ-साथ ठोस बल्लेबाजी से भी कमाल दिखाया. क्रिकेट की दुनिया के ये अंडररेटेड ऑलराउंडर हैं शॉन पॉलक.

शॉन पोलॉक साउथ अफ्रीका की तरफ से खेले महानतम क्रिकेटर्स में से एक रहे हैं. लेकिन वैश्विक स्तर पर उन्हें वह क्रेडिट नहीं मिला, जिसके वह हकदार हैं. हालांकि, इतिहास जब भी महानतम ऑलराउंडर्स की समीक्षा करेगा, तो निश्चित रूप से पॉलक का नाम आएगा. शॉन पॉलक- यानी दाएं हाथ के सटीक लाइन-लेंथ वाले तेज गेंदबाज और निचले मध्यक्रम के बढ़िया बल्लेबाज. पोलॉक जितनी आसानी से बल्लेबाजों को आउट करते थे, उतनी आसानी से खुद अपना विकेट नहीं गंवाते थे.

शॉन पॉलक का जन्म 16 जुलाई 1973 को ऐसे परिवार में हुआ जहां क्रिकेट विरासत के तौर पर मौजूद था. उनके दादा पीटर पोलॉक और चाचा ग्रीम पोलॉक उनसे पहले साउथ अफ्रीका के लिए खेल चुके थे. इसलिए क्रिकेट को करियर के तौर पर चुनना पोलॉक के लिए मुश्किल नहीं था. उन्होंने क्रिकेट में अपने बड़ों की विरासत को आगे बढ़ाया.

पोलॉक ने 1995 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट खेलते हुए किया था. वह साउथ अफ्रीका के लिए तीनों फॉर्मेट में खेले. अपने करियर के शुरुआती दिनों में पोलॉक अपनी बेहतरीन गेंदबाजी की वजह से चर्चित रहे. गति, लाइन-लेंथ की वजह से उनका सामना करना और उनके खिलाफ रन बनाना बल्लेबाजों के लिए हमेशा मुश्किल साबित होता था. टेस्ट में जब उन्होंने 200 विकेट लिए तब कुल 41 गेंदबाजों में उनका औसत सबसे कम था. वहीं, साउथ अफ्रीका की तरफ से टेस्ट में 400 विकेट लेने वाले वह पहले गेंदबाज थे. उन्हें ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्ग्रा की तरह ही शानदार गेंदबाज माना जाता था.

हैंसी क्रोनिए जब मैच फिक्सिंग विवाद में फंसे तो शॉन पोलॉक को साउथ अफ्रीकी टीम की कप्तानी (2000 में) दी गई थी. उनके नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका की शुरुआत अच्छी रही थी, लेकिन धीरे-धीरे टीम के प्रदर्शन में गिरावट आने लगी. 2003 का वनडे विश्व कप साउथ अफ्रीका में आयोजित हुआ था, पोलॉक की कप्तानी वाली साउथ अफ्रीका सुपर-सिक्स में भी नहीं पहुंच सकी थी. इसके बाद बाएं हाथ के बल्लेबाज ग्रीम स्मिथ को कप्तानी सौंपी गई.

2003 से 2007 का दौर वह था जब शॉन पोलॉक अपनी गति से ज्यादा लाइन-लेंथ पर अधिक निर्भर थे. करियर की संध्या पर पोलॉक ने गिरती गति के बीच गेंदबाजी में विविधता पर काम किया. उपमहाद्वीप में गेंद पुरानी होने के बाद वह सिर्फ एक मध्यम गति के गेंदबाज की तरह बॉलिंग करते थे. ऐसी बॉलिंग जहां रफ्तार नहीं, बल्कि टाइट लाइन-लेंथ बल्लेबाजों को गलती करने पर मजबूर करती थी. ऐसी बॉलिंग के सामने विकेटकीपर भी स्टंप्स के बिल्कुल पास खड़ा होता था, जिससे स्टंप्स आउट होने की थोड़ी भी गुंजाइश को भुनाया जा सके. ऐसे ही, श्रीलंका के खिलाफ एक टेस्ट मैच में उन्होंने 5 ओवर तेज गेंदबाजी और 14 ओवर ऑफ-कटर बॉलिंग की थी.

अपनी शानदार गेंदबाजी के साथ ही पोलॉक निचले क्रम के एक बेहतरीन बल्लेबाज थे. एक ऐसी बल्लेबाजी जिसको न तो प्रोटियाज टीम ने बहुत गंभीरता ले लिया और न ही खुद पोलॉक ने. शायद इसका एक कारण तब की दक्षिण अफ्रीकी टीम में ऑलराउंडर्स की भरमार होना भी था. इसके बावजूद बतौर बल्लेबाज पोलॉक के टेस्ट आंकड़े शानदार हैं. टेस्ट में 9वें नंबर पर खेलते हुए दो शतक लगाने का रिकॉर्ड भी पोलॉक के नाम है. साउथ अफ्रीका की तरफ से सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय विकेट लेने का रिकॉर्ड भी पोलॉक के नाम है.

टेस्ट में 23.12 की औसत और 2.4 की इकॉनमी से 421 विकेट और वनडे में 24.51 की औसत और 3.68 की इकॉनमी से 393 विकेट पोलॉक के नाम हैं. टी20 अंतरराष्ट्रीय में भी उन्होंने 15 विकेट उनके नाम है. बल्लेबाजी की बात करें तो पोलॉक ने 108 टेस्ट में 2 शतक और 16 अर्धशतक लगाते हुए 32.32 की औसत से 3781 रन बनाए. वहीं, 303 वनडे में 1 शतक और 14 अर्धशतक लगाते हुए 3519 रन बनाए. 12 टी20 में 86 रन उनके नाम है. ये आंकड़े पोलॉक के दुनिया के श्रेष्ठतम ऑलराउंडर में एक होने का सबूत देते हैं.

11 जनवरी 2008 को पोलॉक ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया था. संन्यास के बाद वह कमेंट्री में व्यस्त रहते हैं.

पीएके/एएस