शारदा सिन्हा के गीत पुरबिया इलाके के सामाजिक, आर्थिक और लोक जीवन के प्रतिबिंब : हरिवंश

पटना, 22 दिसंबर . लोक गायिका दिवंगत शारदा सिन्हा की स्मृति में रविवार को आखर परिवार ने ‘भोजपुरी के स्वर शारदा’ कार्यक्रम का आयोजन पटना स्थित बिहार म्यूजियम में किया.

मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा, “इस नश्वर दुनिया से शारदा सिन्हा छठ के दिन गईं. उन्होंने छठ गीतों को दुनिया में फैलाया. शारदा सिन्हा को पहली बार पटना में सुना. पूरबी इलाके की पीड़ा, चेतना, अतीत को समझने के लिए शारदा सिन्हा के गीतों को सुनना होगा. उन्होंने पलायन की विविशता पर बात की. उनकी गीतों में पुरबिया इलाके के सामाजिक, आर्थिक स्थिति का प्रतिबिंब मिलता है. पलायन, प्रवासन और गिरमिटिया देशों में गए श्रमिकों की दर्द का प्रतिबिंब भी उनकी गीतों में है. उन्होंने समूचे बिहार को अपने गायन से जोड़ा.”

पूर्व विधान परिषद सदस्य व वरिष्ठ आलोचक प्रेम कुमार मणि ने कहा कि शारदा सिन्हा बिहार की पहचान थी. आज इस सभागार में उन्हें याद किया जा रहा है, मैं समझता हूं कि इससे बिहारी समाज का गौरव बढ़ रहा है. उन्होंने शारदा सिन्हा को केंद्र में रखकर एक सांस्कृतिक संस्था बनाने की मांग भी की.

लोकगायक भरत शर्मा व्यास ने कहा कि शारदा जी ने भोजपुरी के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर किया. मशहूर लोकगायक भरत सिंह ‘भारती’ ने शारदा सिन्हा के साथ स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि शारदा सिन्हा की आवाज में वह आकर्षण था कि एकबार उन्हें सुन लेने के बाद कोई दूसरी आवाज रूचिकर नहीं लगती थी.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बिहार म्यूजियम के निदेशक अंजनी सिंह ने कहा कि बिहार म्यूजियम की कमेटी में शारदा सिन्हा भी थीं. उन्होंने बिहार संग्रहालय को कला का केंद्र बनाने की प्रेरणा दी.

कार्यक्रम का संचालन आखर परिवार के सदस्य संजय सिंह ने किया. लोकगायिका चंदन तिवारी, लोकगायक आदित्य राजन और मिसरी बैंड ने अपने गीतों के माध्यम से शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि दी.

कार्यक्रम में मणिकांत ठाकुर, विनोद अनुपम, डॉ. आलोक पांडेय, पी. राज सिंह, प्रो. अनिल प्रसाद, यशेन्द्र प्रसाद, यशवंत मिश्र, मोहन श्रीवास्तव सहित कई लोग उपस्थित रहे.

एमएनपी/एबीएम