शंकर लाल संघी : एक ऐसा क्रांतिकारी जिसने ‘नेताजी’ की विदेश जाने में मदद की, अंग्रेजों के अत्याचार से हुई मौत

महेंद्रगढ़, 23 जनवरी . नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती पर हरियाणा के महेंद्रगढ़ में लोगों ने उन्हें याद किया. नेताजी का दाहिना हाथ माने जाने वाले शंकर लाल संघी नारनौल के रहने वाले थे. उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को जापान भेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

बताया जाता है कि शंकर लाल संघी ने तीन दिन तक सुभाष चंद्र बोस को अंग्रेजों से बचाकर अपनी हवेली के तहखाने में रखा था.

इतिहासकार गोविंद भारद्वाज ने बताया, “हमारे बुजुर्गों से हमें यह जानकारी मिली है कि शंकर लाल संघी जी कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे थे, और जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे, तब दोनों के बीच मतभेद हो गए थे. उस समय देश में स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था, जिसके कारण नेताजी को देश छोड़ना पड़ा. जब नेताजी को देश छोड़ने की बात आई, तो शंकर लाल संघी ने उन्हें अपने साथ नारनौल लाकर छिपाया. यहां एक तहखाना है, जहां नेताजी तीन दिन तक गुप्त रूप से रहे. कहते हैं कि यहीं से नेताजी ऊंट पर सवार होकर राजस्थान के रास्ते काबुल के लिए निकले थे. जब अंग्रेजों को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने नेताजी को आरोपी घोषित किया. नेताजी कहां हैं, कैसे गए, किस रास्ते से गए, इन सभी सवालों के जवाब केवल शंकर लाल संघी जी के पास थे.”

उन्होंने बताया कि बाद में शंकर लाल संघी को गिरफ्तार किया गया. उन्हें बर्फ की शिलाओं पर लिटाकर, कोड़ों से पीटा गया और जब वह बेहोश हो जाते, तो उन्हें ऑक्सीजन दी जाती थी. जैसे ही वह होश में आते, अंग्रेज फिर से उनसे नेताजी के बारे में पूछते. शंकर लाल संघी अपने देशभक्ति के जज्बे से पूरी तरह प्रेरित थे और नेताजी के लिए अपनी जान तक देने को तैयार थे. एक बार जब वह बेहोश हो गए, तो उनके होश में आते ही उन्होंने ऑक्सीजन की नली निकाल ली और उनकी मृत्यु हो गई. उनकी एक ही बेटी थी, सत्यवती देवी जिनका बचपन में ही निधन हो गया था. बाद में, कहा जाता है कि शंकर लाल संघी ने एक लड़की को गोद लिया था, जो दिल्ली में जज बनकर काम करने लगी थी. हालांकि, अब यह जानकारी स्पष्ट नहीं है.

उन्होंने बताया कि शंकर लाल संघी के परिवार और हवेली के बारे में भी कई बातें दबा दी गईं, क्योंकि परिवार को सरकार द्वारा तंग किया गया था. इसलिए उनकी कहानी केवल जुबानी तौर पर ही प्रचलित रही, लिखित रूप में नहीं आई.

कानून के विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश मेहता ने बताया कि सुभाष चंद्र बोस ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नारनौल के शंकर लाल संघी नेता जी के करीबी मित्र थे और तीन दिन तक सुभाष चंद्र बोस ने यहां समय बिताया था. इस क्षेत्र में कई क्रांतिकारी पैदा हुए जिन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपना योगदान दिया. उन्होंने बताया कि शंकर लाल संघी की हवेली अब खस्ताहाल हो चुकी है और सरकार से अपील की कि इस स्थान पर सुभाष चंद्र बोस और शंकर लाल संघी की याद में एक स्मारक स्थापित किया जाए.

शंकर लाल संघी के परिवार के सदस्य धर्मेंद्र संघी ने बताया कि उन्हें गर्व है कि वह ऐसे व्यक्ति के परिवार से हैं जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. शंकर लाल की हवेली अब जर्जर अवस्था में है और सरकार से मांग की कि इस स्थान पर एक स्मारक बनवाना चाहिए, जो इन महान स्वतंत्रता सेनानियों की याद को हमेशा ताजा रखे.

पीएसएम/एकेजे