New Delhi, 20 जुलाई . बिहार में कानून-व्यवस्था को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव की टिप्पणी पर भाजपा के राज्यसभा सांसद शंभू शरण पटेल ने तीखा जवाब दिया है. उन्होंने स्वीकार किया कि हाल के दिनों में बिहार में अपराध के मामले बढ़े हैं, लेकिन एनडीए Government और Chief Minister नीतीश कुमार सुशासन के लिए प्रतिबद्ध हैं.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार में ‘जंगलराज’ को खत्म कर शांति स्थापित की थी, जिसके कारण वह लंबे समय तक सत्ता में हैं. यह सच है कि हाल के दिनों में बिहार में अपराध के मामले बढ़े हैं, इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन, हमारी पार्टी और एनडीए Government Chief Minister नीतीश कुमार के नेतृत्व में सुशासन के लिए पूरी तरह समर्पित है.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सबसे बड़ी खासियत यही है कि उन्होंने बिहार में शांति और व्यवस्था स्थापित की. 2005 से पहले राजद के शासनकाल में बिहार में ‘जंगलराज’ था, जिसे हाईकोर्ट ने भी स्वीकार किया था. उस दौरान संगठित अपराध अपने चरम पर था. जातीय हिंसा, सिवान और सारण में शहाबुद्दीन जैसे लोगों का दबदबा और कोसी क्षेत्र में बड़े-बड़े अपराधी सक्रिय थे.
उन्होंने कहा कि आज बिहार में उस तरह के संगठित अपराध नहीं हैं. अब जो मामले सामने आ रहे हैं, वे ज्यादातर निजी दुश्मनी या जमीन विवाद से जुड़े हैं. हमारी Government और प्रशासन इस स्थिति को लेकर चिंतित है और इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठा रही है. मुझे लगता है कि कुछ लोग साजिश के तहत नीतीश कुमार और एनडीए Government को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारी Government अपराधियों को बख्शेगी नहीं. अपराधी या तो पकड़े जाएंगे या गंभीर परिणाम भुगतेंगे.
शंभू शरण पटेल ने राजद पर पलटवार करते हुए कहा, “तेजस्वी यादव को अपने शासनकाल को भी देखना चाहिए. 1990 से 2005 तक बिहार की स्थिति क्या थी? उस समय संगठित अपराध, हत्याएं और यहां तक कि एक मौजूदा आईएएस अधिकारी की पत्नी तक को भी नहीं छोड़ा गया. ये कोई आरोप नहीं, बल्कि दस्तावेजों में दर्ज सच्चाई है. आज बिहार में ऐसी स्थिति नहीं है.”
उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि नीतीश कुमार और एनडीए Government बिहार में फिर से अमन-चैन स्थापित करेगी. Prime Minister मोदी स्वयं बिहार की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. 2005 में नीतीश कुमार और Police प्रशासन ने जिस तरह अपराध पर नियंत्रण किया था, वही नीतीश कुमार आज भी हैं.
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एकेएस/एबीएम