शबाना आजमी ने बताया, जीवन में अभी और क्या तलाशना बाकी है

नई दिल्ली, 1 अप्रैल . राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शबाना आजमी का कहना है कि, यह मानना ​​अवास्तविक होगा कि उन्होंने सब कुछ अनुभव कर लिया है. उनके अनुसार, अभी तो “पूरा जीवन” ही जानना बाकी है.

यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसा कुछ है जो वह अभी भी नहीं जानती या जिसके बारे में वह जानना चाहती हैं, शबाना ने को बताया: ” हां, संपूर्ण जीवन. क्योंकि यह सोचना बेकार है कि मैंने सब कुछ अनुभव कर लिया है. हां, मैं अब ज़्यादा रोमांचक काम नहीं कर सकती. वो बेवकूफी होगी, लेकिन मैं फिर भी करना चाहती हूं. मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए.”

अभिनेत्री ने 1974 में “अंकुर” से अपनी शुरुआत की थी. शोबिज की दुनिया में पांच दशक बिताने वाली इस अभिनेत्री की फिल्मोग्राफी में 160 से ज्यादा फिल्में शामिल हैं, जिनमें से ज्यादातर स्वतंत्र और नवयथार्थवादी समानांतर सिनेमा की हैं. उन्होंने मुख्यधारा की फिल्मों के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट भी किए हैं.

शबाना विभिन्न विधाओं में विशिष्ट, अक्सर अपरंपरागत महिला किरदारों के लिए लोकप्रिय हैं.

अपने दमदार अभिनय के कारण उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए पांच बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है. अभिनेत्री को 1998 में पद्म श्री और 2012 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.

पीछे मुड़कर देखें तो क्या ऐसी कोई भूमिका है जिसे न निभा पाने का उन्हें अफसोस है या कोई ऐसी फिल्म है जिसका हिस्सा आप बनना चाहती थीं?

वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक समग्र मंच, अंतरा एजईजी के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित अभिनेत्री ने कहा अभिनेत्री ने कहा, “मेरी एक दोस्त कहती है कि मेरी एक अजीब आदत है. मैं कभी-कभी कहती हूं, ‘अच्छा हुआ मैंने वो फिल्म नहीं की.’ वो पूछती है, ‘क्या तुम्हें वो फिल्म ऑफर हुई थी?’ मैं कहती हूं, ‘नहीं.’ तो वो कहती है, ‘फिर तुम क्यों खुश हो?’ मेरे दिमाग में एक ख्याल आता है कि अच्छा है कि मैंने वो फिल्म नहीं की, लेकिन जब मुझे वो मिली ही नहीं, तो मैं क्या ही कर लेती? वह दोस्त मेरी इस बात पर हमेशा हंसती है.”

काम की बात करें तो अभिनेत्री को आखिरी बार आर. बाल्की की स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म “घूमर” में देखा गया था. इसमें अभिषेक बच्चन, सैयामी खेर और अंगद बेदी भी हैं.

डीकेएम/एएस