मुंबई, 6 सितंबर . वरिष्ठ अभिनेत्री शबाना आजमी ने अपनी फिल्म ‘निशांत’ की 49वीं वर्षगांठ मनाई. उन्होंने फिल्म के प्रभाव पर विचार किया और उद्योग के वर्तमान रुझानों की आलोचना की.
आजमी ने फिल्म के माध्यम से नए लोगों को स्टारडम में लाने में निर्देशक श्याम बेनेगल की भूमिका की प्रशंसा की. इसकी तुलना स्थापित सितारों और निर्देशकों पर ओटीटी प्लेटफार्मों के वर्तमान फोकस से की.
गुरुवार को शबाना आजमी ने इंस्टाग्राम पर ‘निशांत’ का पोस्टर शेयर करते हुए लिखा, “निशांत को रिलीज हुए 49 साल हो गए हैं. अंकुर के बाद दूसरी फिल्म ने श्याम बेनेगल को समानांतर सिनेमा में एक अग्रणी व्यक्ति के रूप में स्थापित किया. श्याम ने नए लोगों को मौका दिया और उन्हें स्टार के रूप में स्थापित किया. दुर्भाग्य से, ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म ज्यादातर स्थापित सितारों और निर्देशकों को आगे बढ़ा रहे हैंं. इससे नई प्रतिभाओं को निखारने का एक महत्वपूर्ण अवसर छूट रहा है. कितने अफसोस की बात है.”
निर्देशक शेखर कपूर ने आजमी की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “इतनी देर? शर्त लगा लो फिल्म अभी भी समसामयिक लगती है.”
‘निशांत’ में तेलंगाना में सामंती युग के दौरान ग्रामीण अभिजात वर्ग की शक्ति और महिलाओं के यौन शोषण की कहानी दिखाई गई है. इसमें गिरीश कर्नाड, अमरीश पुरी, मोहन अगाशे, अनंत नाग, साधु मेहर, स्मिता पाटिल और नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकार शामिल थे.
यह फिल्म समानांतर सिनेमा का एक उल्लेखनीय उदाहरण बनी हुई है, जो एक ऐसी शैली है, जो सामाजिक यथार्थवाद और वैकल्पिक कथाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जानी जाती है.
प्रयोगात्मक और समानांतर सिनेमा में अपनी भूमिकाओं के लिए जानी जाने वाली शबाना आजमी भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रमुख हस्ती रही हैं.
उन्होंने दीपा मेहता की फायर में अभिनय किया और बेनेगल की कई फिल्मों में काम किया. इसमें जुनून, सुसमन और अंतर्नाद शामिल हैं.
समानांतर सिनेमा के अग्रणी बेनेगल ने अंकुर, मंथन, भूमिका, कलयुग और मुजीब जैसी प्रशंसित कृतियों का निर्देशन किया है.
1975 में बेनेगल की फिल्म चरणदास चोर से अपने करियर की शुरुआत करने वाली स्मिता पाटिल समानांतर सिनेमा में एक महत्वपूर्ण शख्सियत बन गईं.
उन्होंने न्यू वेव आंदोलन में योगदान दिया और साथ ही अपने पूरे करियर में मुख्यधारा की फिल्मों में भी काम किया.
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एकेएस/