नई दिल्ली, 25 जून . लोकसभा स्पीकर पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बातचीत फेल होने के बाद भाजपा सांसद ओम बिरला और कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश ने मंगलवार को नामांकन दाखिल कर दिया. यह पहली बार है जब लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा.
विपक्ष ने सरकार समर्थित उम्मीदवार ओम बिरला को समर्थन देने पर सहमति जताई थी, बशर्ते कि लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाए. जाहिर तौर पर दोनों पक्ष में इस बात पर सहमति नहीं बन पाने की वजह से लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव की नौबत आई है. इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के सुरेश संसद के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं. वो आठवीं बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. वह केरल से आते हैं और दलित समाज के बड़े नेता हैं. जिसको लेकर सियासत तेज हो चली है.
लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जब भी कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष को पता चलता है कि उनकी हार सुनिश्चित है, तो वे दलित कार्ड चल देते हैं. जब उन्हें पता था कि वे उपराष्ट्रपति पद का चुनाव हार रहे हैं, तो उन्होंने सुशील कुमार शिंदे जी को उम्मीदवार बनाया. 2017 में जब वे जानते थे कि वे राष्ट्रपति पद का चुनाव हार रहे हैं तो उन्होंने श्रीमती मीरा कुमार जी को उम्मीदवार बनाया. अब जब उनके पास स्पष्ट रूप से लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए संख्याबल नहीं है तो उसने कांग्रेस के दलित नेता के नेता सुरेश जी को नामांकित किया है. विपक्ष के लिए क्या दलित नेता केवल और केवल प्रतीकात्मक उम्मीदवार हैं?”
वहीं लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति बनाने के प्रयास मंगलवार को विफल होने के बाद कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यूपीए शासन के दौरान उन्होंने दस साल तक उपाध्यक्ष का पद एनडीए को दिया था. लोकसभा में परंपरा यह है कि डिप्टी स्पीकर विपक्ष को दिया जाता है. राजनाथ सिंह ने कल मल्लिकार्जुन खड़गे को फोन किया. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम आपके उम्मीदवार का समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन हम डिप्टी स्पीकर का पद चाहते हैं, जिस पर राजनाथ सिंह ने उनसे कहा कि हम पीएम मोदी से सलाह लेंगे और जवाब देंगे. जब उपाध्यक्ष पद का चुनाव होगा तो उस समय देखा जाएगा.
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एकेएस