वैंकूवर, 2 नवंबर . कनाडा के वैंकूवर में शहर के सबसे बड़े गुरुद्वारे के आसपास 60 मीटर का बफर जोन बनाया गया है. आशंका है कि 2 नवंबर और 16 नवंबर को आयोजित हो रहे कांसुलर शिविरों के दौरान खालिस्तान समर्थक अलगाववादी समूह वहां उपद्रव करने की कोशिश कर सकते हैं.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, रोस स्ट्रीट गुरुद्वारा ने कांसुलर शिविरों से पहले एहतियाती सुरक्षा उपायों की मांग की थी. कनाडा में पिछले साल अलगाववादी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर ही हत्या को लेकर कनाडा और भारत के बीच राजनयिक तनातनी को देखते हुए इसकी ज्यादा जरूरत महसूस की गई है.
इस गुरुद्वारे का प्रबंधन करने वाली खालसा दीवान सोसायटी ने कहा कि उसे आशंका है कि दोनों शिवरों के दौरान भारी विरोध-प्रदर्शन किए जा सकते हैं. कांसुलर शिविर का आयोजन हर साल उन बुजुर्गों की सुविधा के लिए किया जाता है जिन्हें भारत से पेंशन पाने के लिए दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी करने की जरूरत होती है. शिविर में प्रक्रिया पूरी कर लेने के बाद उन्हें वाणिज्य दूतावास में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं रहती.
भारत द्वारा नामित आतंकवादी और खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के गुरपतवंत सिंह पन्नून ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह वैंकूवर और सर्रे में होने वाले शिविरों का “विरोध करेगा”.
इससे पहले भारत ने कहा कि कनाडा की ट्रूडो सरकार ने सूचित किया है कि उत्तर अमेरिकी देश में भारतीय वाणिज्य दूतावास के कुछ कर्मचारियों पर “ऑडियो और वीडियो निगरानी” रखी जा रही है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नई दिल्ली में कहा कि भारत ने कनाडा सरकार के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय एजेंटों का हाथ होने का दावा कर रही है. वहीं भारत बार-बार कनाडा से उसके यहां मौजूद खालिस्तानी चरमपंथियों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है.
कनाडा द्वारा लगाए गए आरोपों को देखते हुए भारत ने उनकी सुरक्षा के मद्देनजर कनाडा से अपने कई राजनयिकों को वापस बुला लिया है. साथ ही कनाडा के कुछ शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित किया गया है.
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एकेजे/