रायपुर, 31 मार्च . दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा के पास एक मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने एक महिला नक्सली को ढेर कर दिया. महिला नक्सली का शव भी बरामद कर लिया गया है. इसके अलावा पुलिस को मुठभेड़ स्थल पर नक्सलियों के पास से इंसास राइफल, गोला-बारूद और रोजमर्रा उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुएं भी मिली हैं.
दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों की सीमा पर सुरक्षा बलों की एक टीम नक्सल विरोधी अभियान पर थी. अधिकारियों के अनुसार, सुबह 9 बजे से माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी हो रही थी. दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा छत्तीसगढ़ का सबसे संवेदनशील नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है.
इससे पहले 29 मार्च को सुकमा-दंतेवाड़ा बॉर्डर पर भी 16 नक्सली मुठभेड़ में मारे गए थे. 20 मार्च को सुरक्षा बलों ने दो अलग-अलग मुठभेड़ों में 30 माओवादियों को मार गिराया था, जिसमें दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा के पास 26 और कांकेर में 4 नक्सली मारे गए थे. इसके बाद, 25 मार्च को भी दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा के पास एक और मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने तीन नक्सलियों को मार गिराया था. यह मुठभेड़ इंद्रावती नदी के किनारे हुई थी.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छत्तीसगढ़ दौरे से पहले रविवार को 50 माओवादियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. एक दिन पहले, दंतेवाड़ा जिले में 15 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण करके मुख्यधारा में शामिल होने का संकल्प लिया था. ये माओवादी ‘लोन वर्राटू’ (घर वापस आओ) अभियान के तहत आत्मसमर्पण कर रहे थे, जिसे जिला पुलिस बल और सीआरपीएफ ने गांवों में बड़े पैमाने पर प्रचारित किया है. इस अभियान ने कई कट्टर माओवादी नेताओं सहित अन्य नक्सलियों को हथियार डालने और शांतिपूर्ण जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया है.
अधिकारियों ने बताया कि ‘लोन वर्राटू’ अभियान की शुरुआत से अब तक 977 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है. केंद्रीय मंत्री गृह मंत्री अमित शाह ने भी रविवार को नक्सलियों के सरेंडर करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति स्पष्ट है कि जो भी नक्सली हथियार छोड़कर विकास का मार्ग अपनाएंगे, उनका पुनर्वास कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 31 मार्च 2026 के बाद देश में नक्सलवाद केवल इतिहास बनकर रह जाएगा, यह हमारा संकल्प है.
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एसएचके/एएस