नई दिल्ली 30 मार्च . भारत और रूस की नौसेनाएं एक महत्वपूर्ण नौसैनिक द्विपक्षीय अभ्यास कर रही हैं. यह नौसैनिक द्विपक्षीय अभ्यास ‘इंद्र’ सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. अभ्यास का पहला चरण रविवार को संपन्न हो गया. इसके बाद अब दूसरा चरण यानी समुद्री चरण, सोमवार 31 मार्च से बंगाल की खाड़ी में शुरू होने जा रहा है.
बंगाल की खाड़ी में होने वाले इस समुद्री चरण में दोनों देशों की नौसेना कई तरह के नौसैनिक अभ्यास करने जा रही है. इनमें सामरिक युद्धाभ्यास, आधुनिक हथियारों द्वारा लाइव फायरिंग, एंटी-एयर ऑपरेशन, हेलीकॉप्टर क्रॉस-डेक लैंडिंग और सी-राइडर्स का परस्पर आदान-प्रदान शामिल है. इस अभ्यास में रूसी नौसेना के जहाज पेचंगा, रेज्की और अलदार त्सिडेंझापोव के साथ-साथ भारतीय नौसेना के जहाज राणा, कुथार और समुद्री गश्ती विमान पी81 हिस्सा ले रहे हैं.
भारत व रूस के बीच हो रहा यह द्विपक्षीय अभ्यास ‘इंद्र’, शुक्रवार 28 मार्च से भारत में शुरू हो चुका है. यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया जा रहा है. रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अभ्यास ‘इंद्र’ दोनों नौसेनाओं के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों का प्रतीक है. यह अभ्यास समुद्री सहयोग का प्रतीक बन गया है, जो दोनों देशों की नौसेना की अंतर-संचालन क्षमता और परिचालन संबंधी तालमेल को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह भारत-रूस द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास इंद्र का 14वां संस्करण है. रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह सैन्य अभ्यास दोनों देशों के बीच स्थायी समुद्री साझेदारी की आधारशिला है. फिलहाल पहला चरण चेन्नई में हो रहा था. दो चरणों वाला यह अभ्यास 28 मार्च से शुरू हुआ था और 2 अप्रैल 2025 तक जारी रहेगा.
भारत-रूस द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का बंदरगाह चरण 28 से 30 मार्च तक चेन्नई में हुआ है. अब समुद्री चरण 31 मार्च से 2 अप्रैल, 2025 तक बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया जाना है. हार्बर चरण में, विषयवस्तु विशेषज्ञ आदान-प्रदान, खेल कार्यक्रम और दोनों नौसेनाओं के कर्मियों के बीच प्री-सेल ब्रीफिंग शामिल रहीं. इन अभ्यासों और बातचीत का उद्देश्य भारत व रूस नौसेना के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाना, मैत्री संबंधों को मजबूत करना तथा दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को मजबूत करना है.
–
जीसीबी/एएस