सेबी ने इंडेक्स ऑप्शन मार्केट को दिया नया स्वरूप, ‘बीएसई’ के लिए उज्ज्वल रहेगा भविष्य : गोल्डमैन सैक्स

मुंबई, 1 अप्रैल . गोल्डमैन सैक्स ने हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा इंडेक्स ऑप्शन एक्सपायरी डे को मंगलवार और गुरुवार तक ही सीमित रखने के प्रस्ताव के बाद ‘बीएसई लिमिटेड’ के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण पेश किया है.

इस रेगुलेटरी बदलाव से बीएसई को अपनी बाजार स्थिति मजबूत करने और इस सेक्टर में कंसन्ट्रेशन रिस्क को कम करने का फायदा मिलने की उम्मीद है.

सेबी ने 27 मार्च को अपना परामर्श पत्र (कंसल्टेशन पेपर) पब्लिश किया, जिसमें इंडेक्स ऑप्शन के लिए एक्सपायरी दिनों को अलग-अलग करने की योजना की रूपरेखा दी गई है.

इस कदम का उद्देश्य ‘प्रोडक्ट डिफरेंसिएशन’ में सुधार करना और मार्केट कंसन्ट्रेशन को सीमित करना है, जो बीएसई के पक्ष में काम कर सकता है.

गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों के अनुसार, यह प्रस्ताव बीएसई के लिए एक महत्वपूर्ण समय पर आया है.

ब्रोकरेज ने कहा, “इससे पहले, एक्सचेंज को ‘ऑप्शन ओपन इंटरेस्ट’ पर सेबी की लिमिट के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, जिससे इसकी बाजार हिस्सेदारी प्रभावित हुई थी. हालांकि, नए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के साथ, बीएसई को अब अपने इंडेक्स ऑप्शन मार्केट शेयर में वृद्धि देखे जाने की उम्मीद है.”

डेटा से पता चलता है कि बीएसई के इंडेक्स ऑप्शन प्रीमियम बाजार हिस्सेदारी में शानदार वृद्धि हुई है, जो दिसंबर 2024 में 16 प्रतिशत से बढ़कर ईयर टू डेट 21 प्रतिशत हो गई है.

मार्च 2025 में बाजार हिस्सेदारी 22 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो और भी अधिक है. इस वृद्धि से उत्साहित होकर, गोल्डमैन सैक्स ने अपने वित्त वर्ष 2026-2028 के औसत दैनिक प्रीमियम अनुमान में 44 प्रतिशत की वृद्धि की है.

बीएसई की प्रति शेयर आय (ईपीएस) के लिए फर्म के अनुमानों में भी औसतन 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें वित्त वर्ष 2025 और 2028 के बीच की अवधि के लिए 21 प्रतिशत ईपीएस सीएजीआर की उम्मीद है.

हालांकि, गोल्डमैन सैक्स ने बीएसई स्टॉक पर ‘न्यूट्रल’ रेटिंग बनाए रखी है. ऑप्शन ट्रेडिंग की उद्योग-व्यापी पहुंच अपेक्षाकृत कम होने के कारण ब्रोकरेज सतर्क बना हुआ है, जो समग्र विकास क्षमता को सीमित कर सकता है.

अगर सेबी के प्रस्ताव को लागू किया जाता है, तो इससे बीएसई की बाजार स्थिति मजबूत होने की संभावना है, जिससे एक्सचेंज को बाजार स्थिरता और डिफरेंसिएशन में सुधार के उद्देश्य से किए गए रेगुलेटरी प्रयासों से लाभ मिल सकेगा.

ब्रोकरेज फर्म ने कहा, “अंतिम प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि आने वाले महीनों में बीएसई इन परिवर्तनों का कितना प्रभावी ढंग से लाभ उठाता है.”

एसकेटी/एबीएम