हिंद महासागर में दुश्मन की नहीं खैर, ‘सीहॉक’ की रहेगी नजर

नई दिल्ली, 7 मार्च . अमेरिकी ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर ‘सीहॉक’ भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े का हिस्सा बन गए हैं. भारतीय नौसेना को सीहॉक हेलीकॉप्टर की स्क्वाड्रन ऐसे समय में मिली है, जब हिंद महासागर और अरब सागर में खासतौर से नई चुनौतियां सामने आ रही हैं.

दरअसल, चीन और मालदीव का रक्षा समझौता है, जिसके कारण चीन की पनडुब्बियां यहां पहुंचती हैं. दूसरी तरफ हूती विद्रोही एक के बाद एक कई समुद्री मालवाहक जहाजों पर ड्रोन अटैक कर रहे हैं. सोमालियाई समुद्री लुटेरों को भी भारतीय नौसेना मुंहतोड़ जवाब दे रही है. ऐसी स्थिति में अब कोच्चि स्थित आईएनएस गरुण नेवल एयरबेस पर ‘एमएच-60आर’ हेलीकॉप्टर की कमीशनिंग हुई है.

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे नौसेना की न केवल ताकत बढ़ेगी बल्कि चौकसी और निगरानी में भी मदद मिलेगी. भारतीय नौसेना को इन एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर की बेहद जरूरत थी. ऐसा इसलिए था क्योंकि नौसेना के एंटी सबमरीन हेलीकॉप्टर, सीकिंग काफी पुराने हो चुके हैं. विक्रमादित्य के लिए भी नौसेना को नए हेलीकॉप्टर की जरूरत है. वहीं, स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत भी बनकर तैयार हो चुका है.

आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए भी भारतीय नौसेना को रोमियो हेलीकॉप्टर की जरूर थी. अमेरिका के अत्याधुनिक रोमियो हेलीकॉप्टर हेलफायर मिसाइल, रॉकेट और टॉरपीडो से लैस हैं. इनकी एक और खासियत यह है कि आवश्यकता होने पर ये समुद्र के भीतर सैकड़ों मीटर नीचे दुश्मन की पनडुब्बी को डिस्ट्रॉय कर सकते हैं.

एडमिरल हरिकुमार ने कहा है कि कटिंग-एज सेंसर और मल्टी-मिशन क्षमताओं के साथ एमएच-60आर हेलीकॉप्टर भारतीय नौसेना की मेरीटाइम सर्विलांस और एंटी-सबमरीन वारफेयर क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक होंगे. नौसेना में एमएच-60आर हेलीकॉप्टर की स्क्वाड्रन को ‘आईएनएएस 334’ नाम दिया गया है, जिसका आदर्श वाक्य है ‘जलधौ निर्भयम सर्वदा’ यानी समंदर में हमेशा निर्भय.

भारत को अमेरिका से 6 सीहॉक मिले हैं. अमेरिकी कंपनी, लॉकहीड मार्टिन द्वारा तैयार इन ‘एमएच 60आर’ हेलीकॉप्टर को एंटी-सबमरीन और एंटी-सरफेस (शिप) वॉरफेयर के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा रोमियो हेलीकॉप्टर को समंदर में सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन में भी इस्तेमाल किया जाता है. जुलाई 2022 में भारत को अमेरिकी नौसेना ने अपने दो एमएच-60आर हेलीकॉप्टर दे दिए थे ताकि भारतीय नौसैनिकों की ट्रेनिंग जल्द से जल्द शुरू की जा सके.

गौरतलब है कि भारतीय नौसैनिकों ने सीहॉक के लिए अमेरिका के सैन-डियागो में यूएस नेवल बेस पर ही ट्रेनिंग ली थी.

जीसीबी/एबीएम