अगरतला, 10 फरवरी . विपक्षी टिपरा मोथा पार्टी की छात्र शाखा टिपरा इंडिजिनस स्टूडेंट्स फेडरेशन (टीआईएसएफ) सोमवार से राष्ट्रीय राजमार्ग -8 और रेल मार्गों की अनिश्चित काल के लिए नाकेबंदी की योजना बना रही है.
एनएच-8 त्रिपुरा की जीवन रेखा है जिसके पास इसे शेष भारत से जोड़ने वाली एक अकेली रेलवे लाइन भी है.
यह नियोजित नाकाबंदी त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (टीबीएसई) के उस फैसले के खिलाफ छात्रों के विरोध का हिस्सा है, जिसमें आदिवासी छात्रों को ‘कोकबोराक’ भाषा की परीक्षा में रोमन लिपि में उत्तर लिखने की अनुमति देने से मना कर दिया गया है.
कोकबोराक बोरोक लोगों की भाषा है जिन्हें भौगोलिक रूप से त्रिपुरिस के नाम से जाना जाता है.
टीबीएसई 1 मार्च से उच्च माध्यमिक और माध्यमिक परीक्षाएं आयोजित करेगा और दोनों परीक्षाओं में पाँच हजार से अधिक आदिवासी छात्र उपस्थित होंगे.
उनमें कई ‘कोकबोराक’ भाषा के प्रश्नों के उत्तर बांग्ला की बजाय रोमन लिपि में लिखना चाहते हैं.
इस मुद्दे पर हाल ही में त्रिपुरा विधानसभा सत्र के दौरान भी हंगामा हुआ था.
टीआईएसएफ अध्यक्ष सजरा देबबर्मा ने 12 फरवरी से नाकाबंदी की घोषणा करते हुए कहा कि टीबीएसई अध्यक्ष धनंजय गण चौधरी ने पहले कहा था कि बंगाली और अंग्रेजी दोनों लिपियों की अनुमति होगी. लेकिन हाल ही में उन्होंने अपना फैसला बदलते हुए कहा कि केवल बंगाली लिपि को अनुमति दी जाएगी.
कई वर्षों तक, टीबीएसई परीक्षाओं में कोकबोराक भाषा के प्रशनों के उत्तर बंगाली और अंग्रेजी दोनों लिपियों में लिखे गए थे.
छात्र नेता ने मीडिया से कहा, “हमारी सड़क और रेल मार्ग की नाकाबंदी तब तक जारी रहेगी जब तक हमें मुख्यमंत्री (माणिक साहा) से लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता कि वह बोर्ड परीक्षाओं में कोकबोराक भाषा के लिए रोमन लिपि की अनुमति देंगे.”
देबबर्मा ने स्पष्ट किया कि वह बंगाली लिपि के खिलाफ नहीं हैं लेकिन “हमारी मांग दोनों लिपियों को अनुमति देने की है ताकि छात्रों के पास विकल्प हो.”
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एकेजे/