सिंधिया ने स्टेनलेस स्टील क्षेत्र में देश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र का किया उद्घाटन

नई दिल्ली, 4 मार्च . केंद्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को हरियाणा के हिसार स्थित जिंदल स्टेनलेस में इस क्षेत्र में देश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का वर्चुअल उद्घाटन किया.

इस्पात मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि यह परियोजना स्टेनलेस स्टील उद्योग के लिए दुनिया का पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र और रूफटॉप तथा फ्लोटिंग सोलर यूनिट्स वाला दुनिया का पहला ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र है.

इस अत्याधुनिक संयंत्र का लक्ष्य हर साल कार्बन उत्सर्जन में 2,700 टन की कमी लाकर दो दशकों में 54 हजार टन कार्बन फुटप्रिंट कम करना है.

मंत्री ने हरित एवं टिकाऊ भविष्य के लिए देश की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा, “एक सरकार के रूप में हम 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कंपनियों, नागरिकों और राज्य सरकारों को हरित विकास तथा हरित रोजगार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “परियोजना न केवल सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है बल्कि जिम्मेदार औद्योगिक प्रथाओं की क्षमता को प्रदर्शित करते हुए मूल्यवान रोजगार के अवसर भी पैदा करती है.”

मंत्री ने अन्य उद्योग हितधारकों से उत्साहपूर्वक स्वच्छ प्रौद्योगिकियाँ अपनाने, हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में देश की परिवर्तनकारी यात्रा में सक्रिय रूप से भाग लेने और एक कर्तव्यनिष्ठ औद्योगिक परिदृश्य को बढ़ावा देने का आग्रह किया.

सिंधिया ने मजबूत राष्ट्रीय हरित नीतियों को शुरू करने के लिए सरकार के कदमों का उल्लेख किया, जिसमें हरित इस्पात उत्पादन के प्रत्येक पहलू के लिए कार्य बिंदुओं की पहचान करने के लिए 13 टास्क फोर्स की स्थापना और घरेलू स्तर पर उत्पादित स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति का कार्यान्वयन शामिल है.

मंत्री ने इस्पात क्षेत्र में देश की प्रगति, एक शुद्ध आयातक से एक शुद्ध निर्यातक बनने और कच्चे इस्पात का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक बनने के लक्ष्यों पर भी प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा कि इस यात्रा में एक प्रमुख पहल राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) है, जिसे पिछले साल लगभग 20 हजार करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था. इसका उद्देश्य देश को हरित हाइड्रोजन और उसके उपोत्पादों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना था. वित्त वर्ष 2029-30 तक लगभग 500 करोड़ रुपये के बजट के साथ मिशन इस्पात क्षेत्र में पायलट परियोजनाओं का भी समर्थन कर रहा है.

उन्होंने कहा, “इस साल के अंतरिम केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 11 प्रतिशत अतिरिक्त परिव्यय का आवंटन भी दर्शाता है कि सरकार विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कितना महत्व देती है.”

एकेजे/