वैज्ञानिकों ने की डिप्रेशन के छह बायोलॉजिकल सबटाइप्स की खोज

नई दिल्ली, 17 जून . वैज्ञानिकों ने पहली बार डिप्रेशन को छह बायोलॉजिकल सबटाइप्स या “बायोटाइप्स” में वर्गीकृत किया है, साथ ही उन उपचारों की भी पहचान की है, जो इनमें से तीन सबटाइप्स के लिए कारगर हो सकते हैं.

अमेरिका के स्टैनफोर्ड मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार मशीन लर्निंग के साथ मिलकर मस्तिष्क इमेजिंग डिप्रेशन और चिंता के सबटाइप्स का पता लगाया जा सकता है. इसे नेचर मेडिसिन पत्रिका में भी प्रकाशित किया गया है.

मरीजों के मस्तिष्क चित्रों को एक साथ लाने के लिए क्लस्टर विश्लेषण नामक मशीन लर्निंग पद्धति का उपयोग करते हुए, टीम ने शाेध किए गए मस्तिष्क क्षेत्रों में गतिविधि के छह पैटर्न की पहचान की.

स्टैनफोर्ड मेडिसिन के सेंटर फॉर प्रिसिजन मेंटल हेल्थ एंड वेलनेस की निदेशक लीन विलियम्स ने कहा, ”रोगियों को उपचार से मिलान करने के लिए बेहतर तरीकों की आवश्यकता है.”

शोध में पाया गया कि मस्तिष्क के संज्ञानात्मक क्षेत्रों (काग्निटिव एरिया) में अति सक्रियता की विशेषता वाले एक सबटाइप्स वाले रोगियों ने अन्य बायोटाइप वाले रोगियों की तुलना में एंटीडिप्रेसेंट वेनलाफैक्सिन (आमतौर पर एफेक्सर के रूप में जाना जाता है) के प्रति सबसे अच्छी प्रतिक्रिया का अनुभव किया.

वहीं दूसरे सबटाइप्स वाले वे लोग, जिनके मस्तिष्क में विश्राम के समय अवसाद और समस्या-समाधान से जुड़े तीन क्षेत्रों में गतिविधि का स्तर अधिक था, उनमें व्यवहारिक टॉक थेरेपी के साथ लक्षणों का बेहतर निवारण हुआ.

टीम ने पाया कि मस्तिष्क सर्किट में आराम के समय गतिविधि का स्तर कम वाले तीसरे सबटाइप्स वाले लोगों में अन्य प्रकार के लोगों की तुलना में टॉक थेरेपी के साथ उनके लक्षणों में सुधार होने की संभावना कम थी.

हमारी जानकारी के अनुसार यह पहली बार है जब हम यह प्रदर्शित करने में सक्षम हुए हैं कि डिप्रेशन को मस्तिष्क के कामकाज में विभिन्न व्यवधानों द्वारा समझाया जा सकता है

विलियम्स ने कहा, “हमारी जानकारी के अनुसार यह पहली बार है जब हम यह प्रदर्शित करने में सक्षम हुए हैं कि डिप्रेशन को मस्तिष्क के कामकाज में विभिन्न व्यवधानों द्वारा समझाया जा सकता है.”

हाल ही में प्रकाशित एक अन्य शोध में विलियम्स और उनकी टीम ने दिखाया कि एफएमआरआई मस्तिष्क इमेजिंग का उपयोग करने से डिप्रेशनरोधी उपचार के प्रति प्रतिक्रिया देने वाले व्यक्तियों की पहचान करने की उनकी क्षमता में सुधार होता है.

विलियम्स ने कहा, ”वह और उनकी टीम अब इमेजिंग अध्ययन का विस्तार कर रही है, ताकि इसमें और अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया जा सके. हमारे काम का लक्ष्य यह पता लगाना है कि हम इसे पहली बार में कैसे सही कर सकते हैं.”

एमकेएस/