नई दिल्ली, 20 अप्रैल . वर्ष 2008 में काम से घर लौटते समय नेल्सन मंडेला मार्ग पर हमलावरों की गोलीबारी की शिकार हुईं टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की मां ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है. उच्च न्यायालय ने मामले में दोषी ठहराए गए चार लोगों को जमानत देने और उम्रकैद की सजा निलंबित करने का आदेश दिया है.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और गिरीश कथपालिया की खंडपीठ ने 12 फरवरी को अपने आदेश में कहा था कि दोषी लगभग 14 वर्षों से सलाखों के पीछे हैं. जब तक यह अदालत मामले में दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ उनकी अपील पर सुनवाई नहीं करती, तब तक उनकी आजीवन कारावास की सजा निलंबित रहेगी.
मृतका की मां की एसएलपी पर 22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट मेें सुनवाई की संभावना है.
साकेत कोर्ट ने मामले में पिछले साल नवंबर में रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को आजीवन कारावास की सजा और पांचवें दोषी अजय सेठी को तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी.
उनमें से रवि, अमित, बलजीत और अजय ने अपील लंबित रहने के दौरान सजा को निलंबित करने की मांग की थी.
इससे पहले इस साल जनवरी में, मलिक और शुक्ला ने ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें दोषी ठहराने और सजा के खिलाफ अपील दायर की थी.
मलिक, कपूर और शुक्ला को पहले 2009 में आईटी कर्मी जिगिशा घोष की हत्या में दोषी ठहराया गया था. घोष की हत्या के लिए ट्रायल कोर्ट ने कपूर और शुक्ला को मौत की सजा और मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके बाद, अगले वर्ष, उच्च न्यायालय ने घोष हत्या मामले में मलिक की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए कपूर और शुक्ला की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया.
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