पटना, 30 अप्रैल . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में जातिगत जनगणना कराने को मंजूरी दे दी गई. इस फैसले के बाद देशभर में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद संजय यादव ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे समाजवादी पुरखों और लालू प्रसाद की विचारधारा की जीत बताया.
संजय यादव ने से बात करते हुए कहा कि 1996 में जब देवेगौड़ा की सरकार थी, उसी दौरान कैबिनेट ने 2001 की जनगणना में जातिगत आधार पर गणना करने का निर्णय लिया था. लेकिन 1998 में एनडीए सरकार के आने के बाद इस निर्णय को पलट दिया गया और जातिगत जनगणना नहीं हो सकी. 2011 की जनगणना में भी जातिगत आंकड़े जुटाने की मांग हुई थी, जिसके लिए 2010 में लालू यादव, शरद यादव, मुलायम सिंह यादव सहित कई नेताओं ने जोरदार पहल की. उस समय सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण हुआ, लेकिन उसकी रिपोर्ट को भी एनडीए सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया.
संजय यादव ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव की पहल पर बिहार विधानसभा में दो बार जातिगत जनगणना को लेकर प्रस्ताव पारित हुआ. तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री से लगातार संवाद किया और पीएम मोदी से मिलने प्रतिनिधिमंडल भी गया, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला. इसके बाद संसद के दोनों सदनों में हमारे सांसदों ने लगातार सवाल उठाए, लेकिन केंद्र सरकार जातिगत जनगणना कराने से इनकार करती रही.
संजय यादव ने कहा कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के लिए तैयार हो गई है. यह हमारी नीतियों, हमारे संघर्ष और दूरदर्शिता की जीत है.
उन्होंने आगे कहा कि बिहार में तो पहले ही जातिगत सर्वेक्षण हो चुका है और उसके नतीजे सभी के सामने हैं. अब जब पूरे देश में जातिगत जनगणना होगी, तो उसके आंकड़ों के आधार पर सामाजिक न्याय की नई रूपरेखा तैयार होगी. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि जैसे अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण है, वैसे ही पिछड़े और अति पिछड़ों को भी उनके जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की मांग की जाएगी.
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पीएसके/एफजेड