स्वतंत्र भारत से गुलामी की हर निशानी को मिटाना चाहिए : संजय उपाध्याय

नई दिल्ली, 17 मार्च . देश में एक बार फिर औरंगजेब की कब्र को लेकर बहस छिड़ गई है. भाजपा विधायक संजय उपाध्याय ने से बातचीत में सरकार से मांग की है कि स्वतंत्र भारत से गुलामी की हर निशानी को मिटाना चाहिए, जिसमें औरंगजेब की कब्र भी शामिल है. उनका कहना है कि इसे खत्म करने में देरी नहीं करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, “अगर इसे कल हटाना है तो आज करें, आज करना है तो अभी करें. मैं सरकार से पत्र और मीडिया के जरिए जल्द कार्रवाई की मांग करता हूं.”

उन्होंने विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा. उनका आरोप है कि विपक्ष आज भी औरंगजेब के विचारों के प्रति निष्ठा रखता है, जिसके चलते ऐसी मांगें उठ रही हैं.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का देश से धीरे-धीरे अस्तित्व खत्म हो रहा है. महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस मुख्यमंत्री पद का सपना देख रही थी, वहां उसकी हालत खराब हो गई है. नए प्रदेश अध्यक्ष को कोई नहीं जानता. ऐसे में राहुल गांधी की वफादारी दिखाने और अपनी पहचान बनाने के लिए वे घटिया बयानबाजी कर रहे हैं.

उनका कहना है कि इससे कांग्रेस आगे बढ़ने की बजाय और दफन होगी. उन्होंने कांग्रेस से हिंदुत्व की मजबूत आवाज की उम्मीद को नासमझी बताया. साथ ही, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पॉडकास्ट का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पीएम ने अपनी नीतियों और विचारों को सरल शब्दों में समझाया, जिसे सबको देखना चाहिए. यह सामाजिक जीवन में दिशा देने वाला है.

शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने से बातचीत में कहा कि हमें औरंगजेब की कब्र की क्या जरूरत है. उसके मेंटेनेंस पर जो खर्चा हो रहा है, हमें उसकी जरूरत क्या है. लेकिन, इस तरह का सवाल महज किसी एक ही कब्र को लेकर नहीं उठाया जा सकता है, जो अन्य कब्र है, उसे लेकर भी सवाल उठने चाहिए, जिसमें पुरातत्व विभाग की भूमिका अहम हो जाती है. इस मामले में सरकार को कई पहलुओं पर विचार करना है. इस मामले में सिर्फ एक पक्ष होकर विचार नहीं कर सकते हैं.

इसके अलावा, उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास आज की तारीख में कोई मुद्दा नहीं है. विपक्ष ने राज्य के अर्थसंकल्प की भी तारीफ नहीं की, जो बीते दिनों पेश हुआ था. सरकार लोगों के लिए कुछ करना चाहती है, लेकिन विपक्ष नाराज है.

उन्होंने कहा कि सामना और उद्धव ठाकरे गुट भटक चुका है. इस चुनाव में हारने के बाद ये लोग फिर से हिंदू-हिंदू करने लगे हैं. ये लोग भटक चुके हैं. अगर इन लोगों ने बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांतों को ताक पर नहीं रखा होता तो आज इन लोगों की स्थिति ऐसी नहीं हुई होती, जैसा कि आज इन लोगों की हो चुकी है.

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