जाति जनगणना फैसले को संजय निषाद ने बताया ऐतिहासिक, कहा- पिछड़े वर्गों को मिलेगा लाभ

लखनऊ, 1 मई . उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने केंद्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना को मंजूरी देने के फैसले की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय ऐतिहासिक है और इससे देश के पिछड़े वर्गों को व्यापक लाभ होगा. निषाद ने इस कदम को भारतीय जनता पार्टी की एक बड़ी उपलब्धि करार देते हुए कहा कि यह देश में पहली बार हो रहा है, जब सामान्य जनगणना में जाति का कॉलम शामिल किया जाएगा.

संजय निषाद ने कहा कि आजादी से पहले कुछ जातियां अंग्रेजों की सेवक थीं और 1947 में सत्ता हस्तांतरण के समय ये सत्ताधारी बन गईं. तब से ये समुदाय सत्ता का सुख भोग रहे हैं और समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि उनकी जाति और अन्य पिछड़े समुदाय लंबे समय से उपेक्षित रहे हैं. निषाद ने बताया कि 12 अक्टूबर 1871 को उनकी जातियों को अंग्रेजों ने ‘क्रिमिनल कास्ट एक्ट’ के तहत अपराधी जातियां घोषित कर दिया था. देश आजाद होने के बावजूद इन समुदायों का उत्थान नहीं हो सका.

उन्होंने कहा कि कई जातियां जो पहले अनुसूचित जाति (एससी) की सूची में थीं, उन्हें 1994 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में स्थानांतरित कर दिया गया. इसके बाद उनके समुदाय ने लंबी लड़ाई लड़ी, जिसके परिणामस्वरूप 2016 में इनका दर्जा बहाल हुआ. निषाद ने केंद्र सरकार के इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय पिछड़े और वंचित वर्गों के लिए नई संभावनाएं खोलेगा.

निषाद ने यह भी बताया कि 2011 के बाद देश में कोई जनगणना नहीं हुई है. अब होने वाली जनगणना में जाति का कॉलम शामिल होगा, जिसमें ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) जैसे सभी वर्गों का उल्लेख होगा. उन्होंने इसे आजादी के बाद पहला ऐसा प्रयास बताया, जो सामाजिक समानता को बढ़ावा देगा. निषाद ने कहा कि भाजपा ने इस कदम से इतिहास रचा है और यह फैसला सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए एक नया युग शुरू करेगा. उन्होंने विश्वास जताया कि इससे इन समुदायों को उनकी आबादी के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व और अवसर प्राप्त होंगे.

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