मुंबई, 26 मई . मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में 45 वर्षीय महिला के दुष्कर्म और हत्या के मामले को शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने सोमवार को शर्मनाक बताया. उन्होंने सरकार से आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें सख्त सजा देने की अपील की.
संजय निरुपम ने सोमवार को समाचार एजेंसी से कहा, “हमारे शास्त्रों में लिखा है ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’, अर्थात जहां स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं. ऐसे में यदि मध्य प्रदेश या देश के किसी भी हिस्से में किसी महिला के साथ दुष्कर्म या हत्या जैसी घटनाएं होती हैं, तो यह अत्यंत शर्मनाक है. मध्य प्रदेश सरकार से आग्रह है कि गैंगरेप के आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर सख्त से सख्त सजा दी जाए. ‘निर्भया कांड’ के बाद बने सख्त कानूनों का पालन कर अपराधियों में डर पैदा करना जरूरी है.”
रेडिको खेतान कंपनी के ‘त्रिकाल’ नाम के शराब लॉन्च करने पर उन्होंने कहा, “सनातन धर्म के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ असहनीय है. हमारे धर्म और शास्त्रों में जिन शब्दों और शब्दावलियों का प्रयोग होता है, वे हमारी धार्मिक भावनाओं से जुड़े होते हैं. ऐसे पवित्र शब्दों के नाम पर शराब बेचना अत्यंत आपत्तिजनक है. ‘त्रिकाल’ नाम से शराब लॉन्च करना दुर्भाग्यपूर्ण है. संबंधित राज्य सरकारों को इस शराब कंपनी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही कंपनी को सख्त चेतावनी दी जानी चाहिए कि वह भविष्य में सनातन से जुड़े किसी भी शब्द का उपयोग उत्पादों के नाम में न करे.”
महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना केस पर निरुपम ने कहा, “यह चिंता का विषय है कि कोविड का नया वैरिएंट भारत में आ चुका है. हालांकि यह अभी व्यापक रूप से नहीं फैला है, लेकिन इसका प्रसार धीरे-धीरे हो सकता है. उन्होंने चिकित्सा विशेषज्ञों, पैरामेडिकल स्टाफ और सरकार से आग्रह किया कि वे सतर्कता और सख्ती बरतें ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके. साल 2020 जैसी स्थिति दोबारा न आए, इसके लिए जरूरी है कि समय रहते सावधानी बरती जाए और सरकार नागरिकों को जागरूक करने के लिए एडवाइजरी जारी करे.”
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर निकालने पर निरुपम ने कहा, “राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को उनके अनैतिक आचरण और सामाजिक मर्यादाओं की अनदेखी के कारण पार्टी और परिवार से बाहर कर दिया है. यह सार्वजनिक जीवन में नैतिकता की अपेक्षा रखने वालों के लिए एक सकारात्मक संकेत है. ऐसे कदम समाज में एक संदेश देते हैं कि किसी भी स्तर पर गलत आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हालांकि यह राजद और लालू परिवार का आंतरिक मामला है, लेकिन यह निर्णय सार्वजनिक जीवन में अनुशासन और मर्यादा का प्रतीक बन सकता है.”
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एससीएच/एकेजे