मुंबई, 13 जून . लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को लेकर भाजपा को विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ रहा है. महाराष्ट्र के नतीजों ने भाजपा के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है.
इसी बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ओर से मणिपुर के साथ-साथ लोकतांत्रिक मर्यादा कायम करने को लेकर दिये गए बयान के बाद एक नया राजनीतिक विमर्श खड़ा हो गया है. सत्ता के गलियारों से लेकर विपक्षी खेमों में चर्चाओं और प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है.
शिवसेना यूबीटी नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि भाजपा में अब संघ की नहीं सुनी जाती. संघ ने तो यह भी कहा था कि शिवसेना के साथ एलायंस नहीं टूटना चाहिए. क्या हुआ? उन्होंने महाराष्ट्र में शिवसेना ही तोड़ दी फिर एनसीपी को तोड़ा. ऐसे में सवाल यह है कि क्या भाजपा आरएसएस की बात मानती है? आरएसएस ने भाजपा को बढ़ाया, उसे नैतिक ताकत दी लेकिन दस साल में भाजपा ने सबसे पहले आरएसएस को खत्म किया.
उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र में जैसा खेल हुआ, इतने नेता टूटे, करप्ट लोगों को भाजपा अपने साथ कर सत्ता पर काबिज हो गई. जिस अजित पवार और अशोक चव्हाण को जेल में डालने की बात कह रहे थे, सभी को भाजपा ने वाशिंग मशीन में डाला, इसलिए कि राज्य में सिर्फ हम रहें. आरएसएस आज जो भी कुछ भी कहे, इसका क्या फायदा?
उन्होंने संघ से सवाल करते हुए पूछा है कि अहंकार की सीमा लांघने वाले दो बड़े नेता के खिलाफ उनके नेता क्या बगावत करेंगे? संघ से जुड़े नेता नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान जैसे लोग सरकार में बैठे हैं. उनमें संघ की बात नहीं मानने वालों के खिलाफ बगावत करने की हिम्मत है.
उन्होंने कहा कि अमित शाह, मोदी ने मर्यादा तोड़ी. क्या आरएसएस में बगावत की हिम्मत है? सिर्फ बात करने से क्या होगा? आरएसएस को देश के हित में भूमिका निभानी पड़ेगी. सरकार में बैठे नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ सब चुप हैं.
उद्धव ठाकरे के मणिपुर जाने के सवाल पर संजय राउत ने कहा कि मोहन भागवत तो मणिपुर नहीं गए. क्या कश्मीर गए? हम उम्मीद करते हैं कि आप जाएं. देश की सुरक्षा का मामला है, बात करने से क्या होगा.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार ने राज्यसभा चुनाव के लिए एनसीपी उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है. इसको लेकर संजय राउत ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि भाजपा की मदद से उनकी पत्नी राज्यसभा जाएगी. क्या आरएसएस विरोध करेगा?
–
एकेएस/