मुंबई, 19 जून . टीवी के हिट सीरियल ‘भाबीजी घर पर हैं’ के अभिनेता सानंद वर्मा ने अस्थायी लोकप्रियता पर खुलकर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि टीवी की दुनिया में जो प्रसिद्धि और पहचान मिलती है, वह हमेशा नहीं रहती. जब तक कोई अभिनेता टीवी पर नजर आता है, तब तक लोग उसे पहचानते हैं और पसंद करते हैं. जैसे ही वह काम करना बंद करता है या टीवी से दूर हो जाता है, लोग उसे भूलने लगते हैं.
सानंद वर्मा ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, ”टीवी इंडस्ट्री में काम करना आसान नहीं है, इसमें कई मुश्किलें होती हैं. इसके बावजूद, टीवी पर काम करने के फायदे भी बहुत हैं, क्योंकि इससे एक कलाकार को बड़ा दर्शक वर्ग मिलता है.”
उन्होंने आगे कहा, ”पहले सिर्फ टीवी ही ऐसा माध्यम था, जो लोगों के ड्रॉइंग रूम तक पहुंचता था, लेकिन अब ओटीटी भी लोगों के घरों में आ चुका है. आजकल लगभग सारा टीवी कंटेंट ओटीटी पर भी मिल जाता है, जिससे दर्शक जब चाहें, जहां चाहें, कंटेंट देख सकते हैं. इससे कलाकारों की लोगों से जुड़ने की ताकत और भी बढ़ गई है.”
सानंद वर्मा कहते हैं कि टीवी कलाकारों को लोग तब तक ही याद रखते हैं जब तक उनका शो सफल रहता है. जैसे ही शो बंद हो जाता है, तो उनकी लोकप्रियता कम हो जाती है. लोग धीरे-धीरे उस कलाकार को भूलने लगते हैं.
उन्होंने कहा, ”टीवी के कलाकारों की लोकप्रियता की एक तय समयसीमा होती है. जब तक कोई शो चल रहा होता है, सब कुछ ठीक रहता है, कलाकार मशहूर रहते हैं और लोग उन्हें पहचानते हैं. जैसे ही शो बंद हो जाता है, तो कुछ महीने के अंदर ही लोग कलाकारों को भूलने लगते हैं. यही टीवी इंडस्ट्री की सच्चाई है.”
उन्होंने आगे कहा, ”कुछ शो जैसे ‘भाबीजी घर पर हैं’, जो कई सालों तक चलते हैं, लेकिन आमतौर पर टीवी शो सिर्फ एक या दो साल ही चलते हैं. उस दौरान अभिनेता को लोग जानते हैं, लेकिन शो खत्म होने के बाद उन्हें काम मिलने में दिक्कत होती है. कई बार तो कई महीनों तक कोई काम नहीं मिलता. ऐसी हालातों में कलाकारों को छोटे-मोटे काम करने पड़ते हैं ताकि गुजारा चल सके.”
सानंद वर्मा का मानना है कि टीवी के मुकाबले फिल्में लोगों के दिमाग में ज्यादा समय तक रहती हैं. लोग उन्हें बार-बार देखते हैं और रिलीज होने के बाद भी फिल्मों की अहमियत बनी रहती है.
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पीके