संभल का हर्बल गुलाल, यूपी से लेकर तमिलनाडु तक है इसकी धाक

संभल, 27 फरवरी . संभल का हर्बल गुलाल महीनों की मेहनत का प्रतिफल है. देश के सात राज्यों में इसकी काफी डिमांड रहती है. इस बार भी ऐसा ही है. हाथरस के बाद इस जिले ने अपना खास मुकाम बनाया है. यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा, तमिलनाडु, दिल्ली, पंजाब सहित 7 राज्यों के लोग भीनी खुशबू और खालिस प्राकृतिक रंगों में डूबे गुलाल का इंतजार करते हैं.

संभल में बनने वाला गुलाल पूरी तरह से हर्बल है. इसे बनाने में प्राकृतिक फूलों और फलों की खुशबू का उपयोग किया जाता है. गुलाल को महकदार बनाने के लिए कन्नौज से इत्र का एसेंस मंगाया जाता है, जिससे उसकी गुणवत्ता बनी रहती है और यह त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. गुलाल में फूलों की खुशबू जैसे जैस्मीन, मोगरा, गुलाब, लैवेंडर और फलों की खुशबू जैसे आम, पपीता, स्ट्रॉबेरी, केला आदि का मिश्रण किया जाता है. इस गुलाल को खुशबू के हिसाब से विभिन्न नाम भी दिए जाते हैं.

कई महीने पहले से गुलाल की तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं. खालिस देसी प्रोडक्ट्स मिलाए जाते हैं, ऐसे जो त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाते. यहां अमूमन गुलाल मक्का के आटे से तैयार किया जाता है, जिसे बाद में विभिन्न रंगों और खुशबू में डुबोया जाता है. फिर धूप में सुखाया जाता है. महीनों की मेहनत के बाद यह गुलाल तैयार होता है, जिसका मनभावन रंग और खुशबू भी लोगों को आकर्षित करती है.

गुप्ता कलर कंपनी पिछले 45 साल से देश भर में हर्बल रंग बिखेर रही है. इसके मालिक हर्ष गुप्ता ने न्यूज एजेंसी से बताया कि वर्षों से उनके ही नहीं, संभल के अन्य ट्रेडर्स के रंगों से देश खेल रहा है. विगत 7 साल से इसमें गजब का उछाल आया है. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, असम शामिल हैं. इस बार होली पर कुछ नए गुलाल बनाए गए हैं, जिन्हें खरीदार बहुत पसंद भी कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हमारे गुलाल पूरी तरह से ऑर्गेनिक होते हैं. पहले 7-8 रंग थे, लेकिन इस बार हम 15 रंग के गुलाल बना रहे हैं. इनमें मोगरा, जैस्मीन, जूही और अन्य फूलों की खुशबू मिलाई गई है. मिंट गुलाल को खूब पसंद किया जा रहा है. मथुरा में गुलाल का उपयोग एक महीने पहले ही शुरू हो जाता है, और वहां भी हमारे गुलाल अपना रंग जमा रहे हैं.

एसएचके/केआर