संभल हिंसा रिपोर्ट अविश्वसनीय, प्रमाणिकता का अभाव: पीएल पुनिया

बाराबंकी, 29 अगस्त . कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद पीएल पुनिया ने Friday को बाराबंकी स्थित अपने आवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उत्तर प्रदेश की भाजपा Government पर तीखा हमला बोला.

उन्होंने संभल हिंसा से संबंधित आयोग की हालिया रिपोर्ट को अविश्वसनीय करार देते हुए कहा कि यह पूरी तरह भरोसेमंद नहीं है. उन्होंने कहा कि सटीक और विश्वसनीय आंकड़े केवल India Government द्वारा कराई गई जनगणना से ही सामने आ सकते हैं.

पीएल पुनिया ने आयोग की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें स्वतंत्रता के समय यानी 1947 की स्थिति और जनसंख्या संतुलन का हवाला दिया गया है, लेकिन उस दौर के आंकड़ों को पूरी तरह प्रमाणिक नहीं माना जा सकता.

उन्होंने तर्क दिया कि आजादी के बाद 1951 में हुई पहली जनगणना के आंकड़े ही वास्तविक आधार के रूप में स्वीकार किए जा सकते हैं. किसी काल्पनिक तारीख को आधार बनाकर तथ्य पेश करना उचित नहीं है. यह भ्रामक और गलत निष्कर्ष की ओर ले जाता है.

कांग्रेस नेता ने आयोग की कार्यप्रणाली को भी कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को आंकड़े जुटाने और आकलन का जिम्मा सौंपा गया, वह उनका दायित्व ही नहीं था. ऐसी स्थिति में इस रिपोर्ट को सही मान लेना उचित नहीं है. सही तस्वीर तभी सामने आएगी जब India Government द्वारा जनगणना पूरी होगी और आधिकारिक आंकड़े जारी होंगे.

उन्होंने Government पर आरोप लगाया कि आयोग को पर्याप्त संसाधन नहीं दिए गए, जिसके कारण यह रिपोर्ट अधूरी और अविश्वसनीय है. ऐसे में इस आधार पर कोई ठोस निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी और यह जनता को गुमराह कर सकता है.

उन्होंने उत्तर प्रदेश की मौजूदा स्थिति पर भी गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में राज्य में अपराध और अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं. महिलाओं और दलितों पर अत्याचार की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं.

उन्होंने “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” जैसे नारों को कागजी करार देते हुए कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक शिकायतें दर्ज हो रही हैं. प्रदेश की न्याय व्यवस्था जाति और धर्म के आधार पर काम कर रही है. कुछ लोग Political संरक्षण के चलते खुलेआम अपराध कर रहे हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही.

एकेएस