नई दिल्ली, 15 फरवरी . मोटिवेशनल गुरु सद्गुरु ने बच्चों से ‘परीक्षा पे चर्चा’ की. उन्हें जिंदगी के हर इम्तिहान से लड़ने का सबक सिखाया. योग-मेडिटेशन की सलाह भी दी. इसके साथ ही ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जगदीश वासुदेव (जग्गी वासुदेव) यानि सद्गुरु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अद्भुत प्रयास की तारीफ की.
सद्गुरु ने कहा कि प्रधानमंत्री बहुत प्रशंसनीय काम कर रहे हैं. दुनिया में कहीं भी कोई प्रधानमंत्री शायद ही बच्चों को लेकर इतना फिक्रमंद होता है. मुझे खुशी है कि हमारे पीएम मोदी बच्चों के एग्जाम के दौरान होने वाली तकलीफों को समझ रहे हैं और उस पर बात कर रहे हैं.
आध्यात्मिक गुरु ने परीक्षा पे चर्चा के पांचवें (पीएम मोदी का अंक मिला कर) एपिसोड में अपने अनुभव भी साझा किए. मंत्र दिया कि दिमाग पर ज्यादा जोर न डालें. बोले, “ओवरथिंकिंग जैसी कोई चीज नहीं होती. केवल हमारा दिमाग दिशा विहीन (ऑफट्रैक) हो जाता है. जैसे किसी मशीन को बिना ल्यूब्रिकेशन के चलाने से वो खराब हो जाती है, वैसे ही दिमाग होता है. सोचना तो बेहद जरूरी है. बस आपको पता होना चाहिए कि क्या सोचना है. दिमाग वही करता है जो आप चाहते हैं.”
इसके साथ ही सद्गुरु ने बच्चों को किताबों का स्ट्रेस न लेने की सलाह दी. कहा- अपनी किताबों को खेल की तरह लीजिए, जैसे खेलते हैं, वैसे ही पढ़ाई करिए. बच्चों को बड़े सहज अंदाज में सद्गुरु ने अपना उदाहरण दे समझाया, “मैं 12वीं की परीक्षा दे रहा था. हॉल टिकट मिल गया था. मुझे मैंगो एक्सपर्ट समझा जाता था. पेड़ देखकर आम के बारे में सब कुछ बता देता था. दोस्तों के साथ खड़ा था और उन्हें बता रहा था कि कॉलेज में कैसे-कैसे आम लगे थे. हमें प्रिंसिपल देख रहा था, वो चिल्लाया कि परीक्षा सिर्फ 15 दिन बाद है और आम देख रहे हो. मैंने कहा कि एग्जाम कई बार आते हैं, आम साल में एक बार ही आता है. टेक्स्ट बुक आपके लिए कोई चुनौती नहीं है, लेकिन आपकी इंटेलिजेंस जरूरी है. आप अपनी किताबों को खेल की तरह लीजिए, जैसे खेलते हैं, वैसे पढ़िए. वह आपके लिए चुनौती नहीं रह जाएगी.”
बता दें इस साल 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा दे रहे छात्रों के लिए ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम का आयोजन हर बार से कुछ अलग अंदाज में किया जा रहा है. पीएम मोदी के अलावा इसमें फिल्म, खेल, अध्यात्म और अन्य क्षेत्रों से जुड़े दिग्गज जरूरी टिप्स दे रहे हैं. सबसे पहले एपिसोड में पीएम मोदी ने बच्चों के अभिभावकों से भी अपील की थी कि किसी भी चीज के लिए उन्हें बाध्य न करें ताकि उनकी रचनात्मकता और निखर कर सामने आए.
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केआर/