सेना के लिए बैज बनाने वाले सादाब आलम ने आईएएनएस से की बातचीत, बताया तीन पीढ़ी से यही काम कर रहा उनका परिवार

काशी, 7 सितंबर . अपनी अद्भुत कलाकृति के लिए विख्यात काशी के सादाब आलम भारतीय सेना के लिए बैज (बिल्ला) बनाने को लेकर खूब तारीफ बटोर रहे हैं. पिछले तीनी पीढ़ी से इसी व्यवसाय से जुड़े सादाब बताते हैं कि उनका परिवार कई देशों के सैनिकों के लिए बैज बना चुका है. अब वे खुद इस व्यवसाय को अपना शेष जीवन समर्पित कर चुके हैं.

वे बताते हैं, “इसमें कम आय होने की वजह से युवा इसे पहले व्यवसाय या पेशे के रूप में स्वीकार करने से गुरेज करते थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद इसी ने युवाओं के लिए सुनहरे भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया.”

शादाब बताते हैं, “यह बैज तीनों सेनाओं में इस्तेमाल होता है. शीर्ष स्तर के अधिकारियों की ड्रेस में डबल रॉ बैज और कनिष्ठ अधिकारियों की ड्रोस मे सिंगल रॉ बैज लगते हैं. हमारा परिवार कई सालों से इस काम में जुटा है. मेरे पिता और दादा भी यही काम करते थे और मैं यही कर रहा हूं.”

वे आगे बताते हैं, “करीब 500 से ज्यादा कारीगर इस व्यवसाय से जुड़े हैं. पहले काम कम होने की वजह से कारीगर कम हो गए थे, लेकिन अब युवाओं का रुझान इस ओर बढ़ा है.”

शादाब बताते हैं, “हमारी तीनी पीढ़ी यही कर रही है. दादा और पिता के बाद अब मैं भी इसी काम में लगा हूं. हम नहीं चाहते कि हमारा यह परंपरागत पेशा खत्म हो. हमारे यहां कई देशों के सैनिकों के अलावा पुलिस और स्कूली बच्चों के बैज भी तैयार होते हैं.”

वे बताते हैं, “जीआई टैग मिलने के बाद काम पहले की तुलना में अच्छा हुआ है. हमें बिना किसी अड़चन के ऑर्डर मिलता है. हमें बायर से सीधा जोड़ा जा रहा है. अब हमारी आय भी बढ़ी है.”

वे आगे बताते हैं, “हमारी कुल 30 लोगों की टीम है. कुछ लोग मेरे साथ काम करते हैं, तो कुछ दूसरी जगह. इसके अलावा, कुछ घर से भी काम करते हैं. पहले बिचौलिए होने की वजह से हमें कम आय मिलती थी, लेकिन अब बिचौलिए हटाए जाने के बाद हमें सीधे तौर पर काम मिल रहा है, साथ ही हमारी आय भी बढ़ी है.”

एसएचके/जीकेटी