रूस और यूक्रेन ने 146 और कैदियों की अदला-बदली की

मास्को, 24 अगस्त . रूस और यूक्रेन के बीच कैदियों की अदला-बदली का एक और दौर शुरू हुआ है. रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रूस और यूक्रेन ने Sunday को 146 और कैदियों की अदला-बदली की.

यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र के आठ निवासियों को भी वापस भेज दिया. अगस्त 2024 में हुए अचानक हमले में यूक्रेन ने इस क्षेत्र पर कुछ समय के लिए कब्जा कर लिया था. इसके बाद रूसी सेना ने इस साल की शुरुआत में इसे फिर से अपने कब्जे में ले लिया था.

शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी सैनिक मास्को भेजे जाने से पहले बेलारूस में मनोवैज्ञानिक और चिकित्सा सहायता प्राप्त कर रहे हैं.

संयुक्त अरब अमीरात ने इस अदला-बदली में मध्यस्थता की.

रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता का तीसरा दौर 23 जुलाई को इस्तांबुल में हुआ था. वार्ता के बाद रूसी राष्ट्रपति के सहयोगी व्लादिमीर मेडिंस्की ने कहा कि दोनों पक्ष कम से कम 1,200 कैदियों की अदला-बदली पर सहमत हुए हैं.

इससे पहले जुलाई में रूस और यूक्रेन ने संघर्षबंदियों की अदला-बदली की थी, जब दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने तुर्की में अपनी तीसरी दौर की सीधी वार्ता की थी.

रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह अदला-बदली 2 जून को इस्तांबुल में हुई थी और पिछली वार्ता के दौरान दोनों पक्षों द्वारा किए गए समझौतों के अनुसार की गई.

रूस और यूक्रेन ने 16 मई और 2 जून को इस्तांबुल में दो दौर की सीधी वार्ता की.

दूसरे दौर के दौरान वे गंभीर रूप से बीमार और घायल कैदियों और 25 वर्ष से कम आयु के सैनिकों की अदला-बदली, साथ ही शहीद सैनिकों के शवों के हस्तांतरण पर सहमत हुए.

युद्धबंदियों के उपचार के लिए यूक्रेन के समन्वय मुख्यालय के अनुसार, इस्तांबुल समझौतों के अनुसार 1,000 से अधिक यूक्रेनी सैनिक स्वदेश लौट आए हैं.

केवल 40 मिनट तक चली वार्ता के बाद यूक्रेन के मुख्य प्रतिनिधि रुस्तम उमरोव ने कहा, “मानवीय प्रगति हुई है, लेकिन शत्रुता समाप्त करने की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है.”

रूस के मुख्य प्रतिनिधि मेडिंस्की ने कहा कि नेताओं की बैठक का उद्देश्य एक समझौते पर हस्ताक्षर करना होना चाहिए, न कि ‘हर चीज पर नए सिरे से चर्चा करना’.

उन्होंने शवों को निकालने के लिए 24-48 घंटों के छोटे-छोटे युद्धविरामों की श्रृंखला के मास्को के आह्वान को दोहराया.

यूक्रेन ने कहा कि वह तत्काल और कहीं अधिक लंबा युद्धविराम चाहता है.

डीकेपी/