नई दिल्ली, 3 जनवरी . भारत में ग्रामीण गरीबी दर में बीते 12 वर्षों में करीब 21 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है. यह जानकारी एसबीआई रिसर्च द्वारा शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट में दी गई.
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में वित्त वर्ष 2011-12 में ग्रामीण गरीबी दर 25.7 प्रतिशत थी, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में कम होकर 4.86 प्रतिशत हो गई है, जो कि 20.84 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है.
इस दौरान शहरी गरीबी दर 4.6 प्रतिशत से गिरकर 4.09 प्रतिशत हो गई है.
रिपोर्ट में कहा गया, “समग्र स्तर पर हमारा मानना है कि भारत में गरीबी की दर अब 4 प्रतिशत से 4.5 प्रतिशत के बीच हो सकती है. वहीं, अत्यधिक गरीबी का स्तर भी अब लगभग न्यूनतम हो गया है.”
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण गरीबी में तेज गिरावट की वजह कमजोर वर्ग में सरकारी समर्थन से उपभोग बढ़ना है. साथ ही रिसर्च में पाया गया कि खाने पीने की वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी होने का असर खाद्य खर्च पर ही, बल्कि कुल खर्च पर भी होता है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 के फ्रैक्टाइल वितरण के आधार पर, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का सैंपल अनुपात वित्त वर्ष 24 में 4.86 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 4.09 प्रतिशत रहा है. यह वित्त वर्ष 23 के ग्रामीण गरीबी के 7.2 प्रतिशत और शहरी गरीबी के 4.6 प्रतिशत के अनुमान से भी काफी कम है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “यह संभव है कि 2021 की जनगणना पूरी होने और नई ग्रामीण-शहरी जनसंख्या हिस्सेदारी प्रकाशित होने के बाद इन संख्याओं में मामूली संशोधन हो सकता है. हमारा मानना है कि शहरी गरीबी में और भी कमी आ सकती है.”
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, “ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) का अंतर अब 69.7 प्रतिशत है, जो 2009-10 के 88.2 प्रतिशत से काफी कम है. यह मुख्य रूप से सरकारी योजनओं जैसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण, किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण आजीविका में अधिक सुधार के कारण संभव हुआ है.
–
एबीएस