कर्नाटक सरकार द्वारा शताब्दी मार्च की अनुमति न दिए जाने पर आरएसएस ने उच्च न्यायालय का किया रुख

Bengaluru, 19 अक्टूबर . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने चित्तपुर के तहसीलदार के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. तहसीलदार ने चित्तपुर कस्बे में आरएसएस को अपना शताब्दी जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी थी. यह चुनौती आरएसएस ने हाई कोर्ट की कलबुर्गी बेंच में दी है.

शताब्दी मार्च Sunday के लिए निर्धारित था, लेकिन इससे पहले ही अधिकारियों ने चित्तपुर में भगवा झंडे, भगवा ध्वज, बैनर और झंडियां हटा दी थीं.

इस घटनाक्रम ने गहरी दिलचस्पी पैदा कर दी है और अब सबकी निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हैं. भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि अदालत जुलूस की अनुमति दे देगी. चित्तपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व ग्रामीण विकास, सूचना प्रौद्योगिकी और जैव विविधता मंत्री प्रियांक खड़गे करते हैं. उनके पत्र के बाद राज्य Government ने एक आदेश जारी कर निजी संगठनों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है.

तहसीलदार ने कानून-व्यवस्था की संभावित समस्या का हवाला देते हुए आरएसएस के जुलूस की अनुमति देने से इनकार कर दिया. हालांकि, आरएसएस ने अदालत में इस फैसले को चुनौती देते हुए तर्क दिया है कि जुलूस निकालने के उसके अधिकार को अस्वीकार नहीं किया जा सकता.

तहसीलदार नागय्या हिरेमठ ने बताया कि चित्तपुर थाने के Police उपनिरीक्षक से रिपोर्ट मांगी गई है.

Police रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भीम आर्मी ने भी उसी मार्ग पर जुलूस निकालने की अनुमति मांगते हुए एक पत्र सौंपा था. खुफिया जानकारी से यह भी पता चला है कि मंत्री प्रियांक खड़गे को कथित तौर पर धमकाने के आरोप में एक आरएसएस कार्यकर्ता की गिरफ्तारी के जवाब में आरएसएस का पैदल मार्च जानबूझकर आयोजित किया जा रहा था.

इसके अलावा, भारतीय दलित पैंथर्स पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उसी रास्ते पर एक विरोध रैली निकालने की अनुमति मांगते हुए एक पत्र सौंपा. इस बीच, भीम आर्मी के सदस्यों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोषणा की कि वे 20 अक्टूबर को एक विरोध मार्च निकालेंगे.

उन्होंने कहा कि अगर आरएसएस, भीम आर्मी और भारतीय दलित पैंथर्स Sunday को जुलूस निकालते हैं तो इससे कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिसमें समूहों के बीच संभावित झड़पें भी शामिल हैं. इसलिए, जुलूस की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया.

तहसीलदार ने कहा, “चित्तपुर शहर में कानून-व्यवस्था में गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर आरएसएस के पैदल मार्च की अनुमति नहीं दी जाती है और इस संबंध में उसकी याचिका भी खारिज की जाती है.”

निजी संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित करने के लिए Government से अनुमति लेना अनिवार्य करने के निर्णय के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली Government ने निजी संगठनों, संघों या समूहों द्वारा Governmentी संपत्तियों और परिसरों के उपयोग के संबंध में आदेश जारी किए हैं.

यह कदम ग्रामीण विकास, सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के पत्र के बाद उठाया गया है.

यह आदेश Saturday को गृह विभाग (कानून व्यवस्था) के अवर सचिव एस. नागराजू द्वारा जारी किया गया.

आदेश में कहा गया है, “यदि कोई व्यक्ति या व्यक्ति, संगठन, संघ या व्यक्तियों का समूह या उनकी ओर से कोई अन्य व्यक्ति एजेंसी, इस Governmentी आदेश का उल्लंघन करते हुए Governmentी संपत्तियों में कोई कार्यक्रम या जुलूस आयोजित करती है, तो ऐसे कार्यक्रम या जुलूस को गैरकानूनी माना जाएगा.”

विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवाडी नारायणस्वामी ने चित्तपुर में आरएसएस के मार्च की अनुमति न देने और झंडे, बैनर हटाने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने इसे स्थानीय प्रशासन की मनमानी और मंत्री प्रियांक खड़गे का कदाचार बताया है.

आरएसएस के मार्च के सिलसिले में एक पीडीओ को निलंबित किए जाने के बारे में उन्होंने कहा, “आरएसएस कोई Political दल नहीं है, यह किसी भी अन्य सार्वजनिक संघ की तरह एक संगठन है. इसमें कोई भी भाग ले सकता है. केंद्र Government का भी निर्देश है.”

एकेएस/एएस