आरएसएस को विदेशी मदद नहीं मिलती, सिर्फ समाज का सहयोग : सीएम योगी

Lucknow, 23 नवंबर . Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों के 700 श्लोक को India का हर सनातन धर्मावलंबी जीवन का मंत्र मानकर आदर भाव के साथ आत्मसात करने का प्रयास करता है. श्रीमद्भगवद्गीता नई प्रेरणा देती दिखाई देती है. श्रीमद्भगवद्गीता धर्म से ही शुरू होती है और अंत में भी उसी मर्म के साथ विराम लेती है.

उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता धर्म की वास्तविक प्रेरणा है. हर व्यक्ति अपने पंथ, संप्रदाय, और उपासना विधि के अनुरूप आस्था को तय कर लेता है, लेकिन मुख्य रूप से धर्म हमारे यहां जीवन जीने की कला है. हमने इसे ही ‘वे ऑफ लाइफ’ के रूप में कहा है.

Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ में Sunday को ये बातें कहीं.

सीएम योगी ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता भगवान की दिव्य वाणी है. उन्होंने श्लोक ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः’ को सुनाया. उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं होता होगा, जहां युद्ध का मैदान धर्म क्षेत्र के रूप में जाना जाता हो, लेकिन हमने हर कर्तव्य को पवित्र भाव के साथ माना है. अच्छा करेंगे तो पुण्य और गलत करेंगे तो पाप के भागीदार बनेंगे. यह मानकर हर सनातन धर्मावलंबी अच्छा करने का प्रयास करता है. India ने विश्व मानवता को प्राचीन काल से ही संदेश दिया है. हमने कभी नहीं कहा है कि जो मैं कह रहा हूं, वही सब कुछ है या हमारी उपासना विधि सर्वश्रेष्ठ है. सब कुछ होते हुए भी हमने कभी श्रेष्ठता का डंका नहीं पीटा. जो भी आया, उसे शरण दिया. जिसके ऊपर भी विपत्ति और चुनौती आई, सनातन धर्मावलंबी उसके सहयोग के लिए खड़ा हो गया.

उन्होंने कहा कि India की भूमि ने ‘जियो और जीने दो’ की प्रेरणा दी. ‘अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्. उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’ की प्रेरणा भी India की धरती ने ही दी है. हमने पूरे India की धरती को धर्म क्षेत्र माना, इसलिए युद्ध का मैदान भी हमारे लिए धर्म क्षेत्र है. यह कर्तव्यों से जुड़ा हुआ क्षेत्र है, क्योंकि धर्म क्षेत्र में युद्ध भी कर्तव्यों के लिए लड़ा जा रहा है.

सीएम ने कहा कि अंत में धृतराष्ट्र पूछ ही पड़ते हैं कि बताओ तो क्या होने जा रहा है. इस युद्ध का क्या परिणाम है? तो उन्हें बताया जाता है कि युद्ध का परिणाम तो पहले से तय है: यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः. तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम॥ हम मानते रहे हैं कि यतो धर्मस्ततो जयः—जहां धर्म और कर्तव्य होगा, वहीं जय होनी है. अधर्म के मार्ग पर चलने वाले की कभी विजय नहीं हो सकती. यही India के सनातन धर्म की परंपरा व प्रकृति का अटूट नियम है.

सीएम योगी ने आज के समय के लिए दो उदाहरण भी दिए और कहा कि ‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः, परधर्मो भयावहः’ यानी अपने धर्म और कर्तव्य पर चलकर मृत्यु को वरण करना श्रेयस्कर है, लेकिन स्वार्थ के लिए कर्तव्य से च्युत होना पतन का कारण बनेगा. कभी भी धोखे से यह मत करना. भगवान ने कर्म की प्रेरणा दी, वह कर्म जिसमें फल की इच्छा न हो. बीज लगते ही हम फल की इच्छा करते हैं. बीज सही लगेगा तो पेड़ फलेगा और फल दे ही देगा. भगवान श्रीकृष्ण ने भी निष्काम कर्म की प्रेरणा दी.

सीएम योगी ने मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत को निष्काम कर्म का प्रेरणास्रोत बताया और कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी महोत्सव के कार्यक्रम से जुड़ रहा है. दुनिया से आए अंबेसडर और हाई कमिश्नर्स हमसे पूछते हैं कि आप लोगों का आरएसएस से जुड़ाव है, तब हम कहते हैं कि हां, हमने स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया है. वे इसकी फंडिंग का पैटर्न पूछते हैं, तब हम बताते हैं कि यहां ओपेक के देश या इंटरनेशनल चर्च पैसा नहीं देते. यहां संगठन समाज के सहयोग से खड़ा हो रहा है और समाज के लिए हर क्षेत्र में समर्पित भाव से कार्य करता है. किसी भी पीड़ित की जाति, मजहब, क्षेत्र, या भाषा की परवाह किए बिना हर स्वयंसेवक उसकी सेवा को ही अपना कर्तव्य मानता है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्र प्रथम के भाव के साथ हर पीड़ित संग खड़ा होना (जो India को परम वैभव तक ले जाने में सहायक हो सकता है) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा है. आरएसएस ने पिछले 100 वर्षों में सेवा के साथ कोई सौदेबाजी नहीं की, लेकिन कुछ लोगों ने दुनिया व India में सेवा को ही सौदे के माध्यम बनाया है. वे लोभ, लालच और दबाव से India की डेमोग्राफी को बदलने के लिए छल व छद्म का सहारा लेकर अपना ताना-बाना बदलकर India की आत्मा पर प्रहार करने का प्रयास कर रहे हैं. इन स्थितियों में भगवान की वाणी श्रीमद्भगवद्गीता नई प्रेरणा बन सकती है.

एसके/डीकेपी