रांची, 31 जनवरी . झारखंड में स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा और ड्राइविंग से जुड़े नियमों को अनिवार्य रूप से शामिल करने की पहल होगी. इस प्रस्ताव का प्रारूप परिवहन मंत्रालय जल्द ही तैयार करेगा, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सहमति के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा.
यह जानकारी राज्य के परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ ने शुक्रवार को रांची में सड़क सुरक्षा पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में दी. उन्होंने कहा कि इसके पीछे उद्देश्य है कि भविष्य की पीढ़ी सड़क सुरक्षा, यातायात प्रबंधन और ड्राइविंग की बारीकियों से अवगत हो सके. सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करनी है तो नई पीढ़ी को प्रशिक्षित करना और उनके मानस को नियमों का अनुपालन करने के लिए स्वाभाविक तौर पर तैयार करना जरूरी है.
सेमिनार को संबोधित करते हुए परिवहन मंत्री ने कहा कि एमवीआई (मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर) को गाड़ियों को फिटनेस देने में सावधानी बरतने और ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में सभी प्रक्रियाओं को सही तरीके से फॉलो करने की जरूरत है. ड्राइविंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया में जब हम किसी भी स्तर पर गलती करते हैं तो इसका नतीजा यह होता है कि बहुत सारे लोग ड्राइविंग सीट पर तो बैठ जाते हैं, लेकिन वाहन चलाने के नियमों का तकनीकी ज्ञान उन्हें नहीं होता. इससे सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती हैं.
मंत्री ने कहा कि गाड़ियों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने तक में जो भी खामियां हैं, उन्हें हमें स्वीकार करना होगा. हम ऐसा करते हैं, तभी राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकेगी. उन्होंने सड़क सुरक्षा को लेकर अधिक प्रचार-प्रसार करने की जरूरत पर जोर दिया.
परिवहन सचिव कृष्णानंद झा ने कहा कि सड़क दुर्घटना में रेस्क्यू पार्ट को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. सड़क हादसे के साथ ही एंबुलेंस और ट्रॉमा सेंटर तैयार है या नहीं, इस पर ध्यान देना होगा. सेमिनार में परिवहन क्षेत्र के कई विशेषज्ञों ने सुझाव रखे.
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एसएनसी/एबीएम