बिहार : ‘एमवाई’ समीकरण के टूटने के खतरे के बीच राजद ने बदली रणनीति !

पटना, 22 जून . हाल में ही संपन्न लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर मुस्लिम-यादव वोट बैंक के खिसकने की आहट के बाद राजद ने अब रणनीति में बदलाव का मन बना लिया है. पिछले दो दिन की समीक्षा बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कई सीटों पर आपसी खींचतान के कारण राजद को आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिली.

राजद की समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई है कि नवादा, उजियारपुर, अररिया, पूर्णिया और सिवान जैसी कई सीटों पर पार्टी के वोट बैंक में विरोधी सेंध लगाने में कामयाब हो गए.

समीक्षा बैठक में पार्टी ने सर्वसम्मति से अभय कुशवाहा को लोकसभा में संसदीय दल का नेता भी चुना. कुशवाहा इस बार औरंगाबाद लोकसभा सीट से जीते हैं. जहानाबाद लोकसभा से नव निर्वाचित सांसद सुरेंद्र यादव को लोकसभा में मुख्य सचेतक बनाया गया है जबकि राज्यसभा में फैयाज अहमद को मुख्य सचेतक के रूप में चुनकर राजद ने साफ संकेत दिया कि उसकी नजर ‘एमवाई’ के साथ ‘के’ पर भी है.

लोकसभा चुनाव में भी राजद ने कुशवाहा वोट को साधने के लिए कुशवाहा जाति से आने वाले सात प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. कई सीटों पर इसका लाभ भी महागठबंधन को मिला. इस बीच, संसदीय दल के नेता पद पर अभय कुशवाहा के चयन को राजद के आधार विस्तार का प्रयास माना जा रहा है. राजद के अभय कुशवाहा के अलावा भाकपा माले के राजाराम सिंह की जीत हो गई. दूसरी तरफ एनडीए के बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा चुनाव हार गए. लोकसभा में राजद की ओर से किया गया यह प्रयोग सफल माना गया.

अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में इसे विस्तार देने के प्रयास के रूप में ही अभय कुशवाहा के चयन को देखा जा रहा है. कुशवाहा तीन महीने पहले ही राजद में शामिल हुए थे.

राजनीति के जानकार अजय कुमार भी कहते हैं कि बिहार में कुशवाहा की आबादी चार प्रतिशत से अधिक है. भाजपा ने सम्राट चौधरी को प्रदेश की जिम्मेदारी देकर इसी वोट बैंक पर फोकस करने के संकेत दिए थे. चुनाव नतीजों ने संकेत दिया है कि कुशवाहा समाज में राजद को लेकर सोच बदल रही है. राजद अध्यक्ष लालू यादव और तेजस्वी यादव को इस बार के नतीजों के बाद लगता है कि थोड़ा तवज्जो देकर और मेहनत कर कुशवाहा समाज को वे अपने साथ जोड़ सकते हैं. यही कारण है कि कुछ दिन पहले ही राजद में आये अभय कुशवाहा को पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दे दी.

इधर, राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने जाति की राजनीति को सिरे से नकारते हुए कहा कि राजद जाति की नहीं, जमात की राजनीति करती है, गरीबों के हक की लड़ाई लड़ती है. कुशवाहा को संसदीय दल का नेता बनाया गया है, इसमें किसी को क्या परेशानी हो सकती है.

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में 23 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली राजद केवल चार सीटें जीत पाई. हालांकि, 2019 के मुकाबले इस बार के परिणाम को अच्छा कहा जा सकता है, क्योंकि तब उसे एक भी सीट नहीं मिली थी. राजद को इस चुनाव में 22.14 फीसद वोट मिले जबकि 2019 में उसे 15.7 फीसदी वोट मिले थे.

एमएनपी/एकेजे