ऋत्विक धावले की फिल्म ‘हेमा’ हर दूसरी महिला की कहानी है : राजश्री देशपांडे

मुंबई, 4 जुलाई . एक्ट्रेस राजश्री देशपांडे को ‘सेक्रेड गेम्स’ और ‘ट्रायल बाय फायर’ जैसी बेहतरीन सीरीज के लिए जाना जाता है. वह इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म ‘हेमा’ के लिए काफी चर्चाओं में हैं.

उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म ‘हेमा’ एक ऐसी कहानी है जो अकेलेपन और कुछ नया करने के बारे में है. यह हर महिला की कहानी है और बताती है कि वे किस तरह अलग-अलग परेशानियों का सामना करती हैं.

यह फिल्म अमेरिका में शिफ्ट हुई कई महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाली सांस्कृतिक चुनौतियों को दर्शाती है. इस फिल्म ने हाल ही में लॉस एंजिल्स के इंडियन फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट शॉर्ट फिल्म के लिए ऑडियंस चॉइस अवार्ड जीता.

राजश्री ने से बात करते हुए कहा, ”मुझे पता है कि यह फिल्म डायरेक्टर की दिवंगत मां के जीवन पर आधारित है, लेकिन मुझे लगता है कि यह हर दूसरी महिला की कहानी है. यह वल्नरेबिलिटी, जुड़ाव, अकेलेपन और एक्सप्लोरेशन की कहानी है. यह दुनिया में खुद को फिर से खोजने की कहानी है. यह कहीं न कहीं मेरे बारे में भी है.”

एक्ट्रेस ने फिल्म डायरेक्टर ऋत्विक धावले की तारीफ करते हुए उन्हें बेहतरीन फिल्म निर्माता कहा.

उन्होंने कहा, “अपनी कहानियों के प्रति उनका दृष्टिकोण सहानुभूति से भरा है. ‘हेमा’ उनके लिए इसलिए खास है क्योंकि यह उनकी मां को समर्पित है, लेकिन वह इस कहानी के जरिए कई महिलाओं के जीवन में भावनात्मक गहराई को ला पाए हैं.”

फिल्म की टीम के साथ काम करने के अपने एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए उन्होंने कहा, “फिल्म की टैलेंटेड टीम, प्रोड्यूसर ऐश्वर्या सोनार, शौर्य नानावटी और राइटर-डायरेक्टर ऋत्विक ‘हेमा’ को लेकर काफी एक्साइटेड हैं. वे भावुक हैं और मुझे वाकई लगता है कि वे सभी पर जादू बिखेरने का काम करेगी.”

एक्ट्रेस ने फिल्म इंडस्ट्री के ग्लैमर की तुलना अपने सामाजिक कामों से किया.

वह महाराष्ट्र के मराठवाड़ा जिले के 30 से ज्यादा सूखाग्रस्त गांवों के साथ काम कर रही हैं. राजश्री इन गांवों में अपने गैर-लाभकारी संगठन, नभांगण फाउंडेशन के जरिए भूजल पर काम कर रही हैं. वह स्कूल और शौचालय बनाने और लैंगिक संवेदनशीलता जैसे मुद्दों को संबोधित करती हैं.

राजश्री ने कहा है कि सामाजिक काम उनके मन को संतुष्टि प्रदान करता है.

उन्होंने से कहा, ”अगर एक्टिंग मेरा प्यार और पैशन है तो समाज के लिए काम करना मेरा दिल है.”

उन्होंने कहा कि गांवों और समुदायों के साथ उनका जमीनी काम उन्हें एक बेहतर इंसान बनाता है.

उन्होंने कहा, ”सहानुभूति रखना मेरे जीवन में सीखी गई सबसे बड़ी चीज है और मैं उन समुदायों की आभारी हूं, जिनके साथ मैं काम करती हूं जो मुझे लगातार एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करते हैं. एक एक्टर के तौर पर, मैंने कई किरदारों को निभाया है, लेकिन मेरे भीतर की मानवता मुझे लगातार इसके लिए प्रेरित करती हैं.”

इंडियन कंटेंट इंटरनेशनल मार्किट में धूम मचा रहे हैं, चाहे वह ‘आरआरआर’ हो या कान फिल्म फेस्टिवल में इंडियन फिल्मों की हालिया बड़ी जीत.

पायल कपाड़िया की फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन इज लाइट’ को ‘ले ग्रां प्री’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, चिदानंद एस नाइक की फिल्म ‘सनफ्लावर वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो’ को बेस्ट शॉर्ट फिल्म के लिए ला सिनेफ अवॉर्ड और अनसूया सेनगुप्ता को अन सर्टेन रिगार्ड बेस्ट एक्ट्रेस का सम्मान दिया गया.

इंटरनेशनल लेवल पर धमाल मचा रही इंडियन फिल्मों के बारे में बात करते हुए, राजश्री ने कहा, ”हमारे देश में कई समुदाय हैं और मुझे खुशी है कि हमारे पास बेहतरीन फिल्म निर्माता हैं जो अपने काम में अपनी प्रामाणिकता और विशिष्टता लाते हैं. दुनिया भर में फिल्म फेस्टिवल क्रिएटिव फिल्मों के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान करते हैं, जो नए फिल्म मेकर्स को अपना काम दिखाने और योग्य मान्यता प्राप्त करने का मौका देते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “जिस पल हम इस क्रिएटिव फील्ड को एक इंडस्ट्री के रूप में देखते हैं, हमें यह भी सीखना चाहिए कि इंडस्ट्री शब्द को कैसे संभालना है. ‘इंडस्ट्री’ शब्द अपने साथ बहुत सारे बोझ लाता है. इसमें गणित शामिल होता है. इसलिए ‘क्रिएटिविटी’ और ‘इंडस्ट्री’ दोनों ही बेहद जरूरी है, लेकिन इनके साथ बहुत सहानुभूति के साथ पेश आने की जरूरत है. हमें ऐसे निर्माताओं की आवश्यकता है जो सेट्स को समझें और उनके लिए काम करें.”

पीके/