चावल का मांड: एक ऐसा आयुर्वेदिक टॉनिक, जो तन और मन दोनों का रखे ख्याल

New Delhi, 16 नवंबर . चावल की मांड (चावल का माढ़) सिर्फ पानी नहीं है, बल्कि एक तरह का आयुर्वेदिक सुपर ड्रिंक है. इसे पीने से शरीर को तुरंत ताकत मिलती है, थकान दूर होती है, पाचन सही रहता है और त्वचा भी निखरती है.

दरअसल, जब चावल को उबालते हैं, तो उसमें मौजूद स्टार्च, विटामिन और मिनरल पानी में आ जाते हैं. यही पानी (मांड) शरीर के लिए एक प्राकृतिक टॉनिक की तरह काम करता है.

आयुर्वेद में मांड को द्रव भोजन (पेया) की श्रेणी में रखा गया है. यह जल्दी पच जाता है और कमजोरी दूर करने में बहुत मदद करता है. खासकर अगर पाचन कमजोर हो, बुखार या बीमारी के बाद शरीर दुर्बल हो, थकान हो या शरीर में पानी की कमी हो, तो मांड पीने से तुरंत राहत मिलती है. यह पेट को हल्का रखता है, भूख बढ़ाता है और पाचन को भी मजबूत बनाता है.

मांड को गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में हल्का गर्म पीना सबसे अच्छा होता है. गर्मियों में यह शरीर को ठंडक देता है और प्यास भी शांत करता है, जबकि सर्दियों में गुनगुना मांड पीने से शरीर में ताकत और गर्मी आती है. इसे थोड़े घी या नमक के साथ पीने से और भी ज्यादा फायदा मिलता है. जरूरत के हिसाब से आप इसमें जीरा, अदरक या नींबू डाल सकते हैं.

मांड सिर्फ शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि त्वचा और बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इसमें प्राकृतिक स्टार्च और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा को मुलायम और झुर्रियों से मुक्त बनाते हैं. वहीं, बालों की जड़ों को पोषण मिलता है, रूखापन दूर होता है और बाल चमकदार बनते हैं.

बच्चे, वृद्ध और रोगी सभी इसे आसानी से पी सकते हैं. ज्वर, उल्टी, दस्त या कमजोरी में मांड तुरंत ताकत देने वाला हल्का भोजन है. अगर इसे नियमित रूप से पीते रहें, तो शरीर अंदर से मजबूत होता है, मन शांत रहता है और लंबी उम्र पाने में भी मदद मिलती है.

पीआईएम/एबीएम