New Delhi, 10 अगस्त . एयर इंडिया ने Sunday को अपने वाइडबॉडी विमानों की रेट्रोफिटिंग और अपनी नैरोबॉडी फ्लीट के सुधार की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. यह 400 मिलियन डॉलर से अधिक की लागत वाली बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण योजना का हिस्सा है.
इस पहल का उद्देश्य यात्रियों की सुविधा में सुधार करना, परिचालन दक्षता में सुधार करना और एयरलाइन के बेड़े को नया और आधुनिक रूप देना है.
वाइडबॉडी फ्लीट के लिए रेट्रोफिट कार्यक्रम एयर इंडिया की परिवर्तन योजना में एक अहम कदम है. एयरलाइन केबिन इंटीरियर्स को अपग्रेड कर रही है, नई सीटें स्थापित कर रही है, इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट सिस्टम में सुधार कर रही है और वैश्विक मानकों के अनुरूप डिजाइन को बेहतर बना रही है. पहले रेट्रोफिट वाइडबॉडी विमान के आने वाले महीनों में सेवा में फिर से शामिल होने की उम्मीद है.
साथ ही, एयर इंडिया नैरोबॉडी विमानों के नवीनीकरण को तेज कर रही है, ताकि अधिक अपग्रेडेड विमान जल्द से जल्द सेवा में शामिल हो सकें. इसमें बेहतर सीटिंग लेआउट, लेटेस्ट केबिन इंटीरियर्स और अधिक आरामदायक उड़ान अनुभव के लिए उन्नत लाइटिंग सिस्टम शामिल हैं.
एयर इंडिया का आधुनिकीकरण कार्यक्रम घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी स्थिति को मजबूत करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है.
फ्लीट की गुणवत्ता और आराम में सुधार के साथ एयरलाइन का लक्ष्य अधिक यात्रियों को आकर्षित करना, वैश्विक वाहकों के साथ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करना और भारतीय विमानन में एक नया मानक स्थापित करना है.
400 मिलियन डॉलर की रेट्रोफिट योजना 100 से अधिक विमानों को कवर करती है और इसे चरणों में लागू किया जा रहा है. इसके पूरा होने पर उन्नत बेड़ा ग्राहक संतुष्टि को काफी हद तक बेहतर करेगा और एयर इंडिया की प्रीमियम वाहक के रूप में ब्रांड छवि को मजबूत करेगा.
इस बीच, पिछले महीने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने वार्षिक ऑडिट के दौरान एयर इंडिया के संचालन में 51 सुरक्षा लापरवाही पाईं, जिससे एयरलाइन की अनिवार्य विमानन सुरक्षा मानकों के अनुपालन को लेकर नई चिंताएं पैदा हो गई हैं.
ऑडिट में कई कमियां सामने आईं, जिनमें पुरानी प्रशिक्षण मैनुअल, खंडित प्रशिक्षण रिकॉर्ड, पायलट प्रशिक्षण की कमी, अयोग्य सिमुलेटर, उड़ान रोस्टर प्रबंधन करने वाले अप्रशिक्षित कर्मचारी और कम दृश्यता संचालन के लिए अनियमितताओं की मंजूरी शामिल हैं.
–
एफएम/एबीएम