‘दरबार मूव’ बहाल करें या श्रीनगर को जम्मू-कश्मीर की स्थायी राजधानी घोषित करें : इंजीनियर राशिद

श्रीनगर, 25 अक्टूबर . इंजीनियर राशिद ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार ‘दरबार मूव’ की परंपरा बहाल करे या फिर श्रीनगर को जम्मू-कश्मीर की स्थायी राजधानी घोषित करे.

डोगरा महाराजाओं के समय से ही सभी शीर्ष सरकारी कार्यालयों का संचालन छह महीने के लिए श्रीनगर से और छह महीने के लिए जम्मू से किया जाता था. यह परंपरा आजादी के बाद भी कायम रही. इसी कारण श्रीनगर और जम्मू शहरों को जम्मू-कश्मीर की जुड़वां राजधानियां कहा जाता था.

इस प्रथा को उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा समाप्त कर दिया गया ताकि साल में दो बार राजधानी स्थानांतरित करने के बड़े खर्च को कम किया जा सके.

लोकसभा सदस्य इंजीनियर राशिद ने शुक्रवार को दरबार मूव बहाल करने की मांग को लेकर श्रीनगर में सिविल सचिवालय के बाहर विरोध मार्च निकाला. इंजीनियर रशीद के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने जम्मू-कश्मीर की राजधानी की स्थिति पर स्पष्टता की मांग की.

विरोध-प्रदर्शन के दौरान इंजीनियर राशिद ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि लोगों के सामने भ्रम और कठिनाई है. वे इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि उन्हें श्रीनगर या जम्मू सिविल सचिवालय में से किससे संपर्क करना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर बिना राजधानी के है, इसलिए लोग अराजकता और पीड़ा में हैं.

इंजीनियर राशिद ने कहा कि या तो ‘दरबार मूव’ को बहाल किया जाए या फिर प्रशासन आधिकारिक तौर पर श्रीनगर को जम्मू-कश्मीर की स्थायी राजधानी घोषित करे.

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की आलोचना करते हुए इंजीनियर राशिद ने उन पर पाखंड का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370, 35ए और राजनीतिक कैदियों की रिहाई पर चिंता जताये बिना गृह मंत्री या प्रधानमंत्री से मिलना उन मुद्दों पर पूरी तरह से आत्मसमर्पण करने के समान है, जिनके लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने वोट मांगे थे.

उन्होंने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर सरकार के उन सभी प्रयासों का समर्थन करेंगे जो वास्तव में लोगों को लाभान्वित करते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों से किए गए वादों को पूरा करेगी.

शोपियां, गगनगीर और त्राल में हाल में हुई हत्याओं पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हिंसा से जम्मू-कश्मीर में केवल विनाश ही आया है.

पीएसके/एकेजे