हैदराबाद, 6 दिसंबर . निकोबारी लोगों पर एक नए आनुवंशिक शोध से पता चलता है कि उनका दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में ऑस्ट्रोएशियाई आबादी के साथ महत्वपूर्ण पूर्वज संबंध है.
निकोबारी लोगों के जेनेटिक ओरिजिन पर किए गए अध्ययन से यह भी पता चलता है कि निकोबार द्वीपवासी लगभग 5,000 साल पहले वहां बसे थे.
डॉ. कुमारसामी थंगराज, सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद और प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी के नेतृत्व में नौ संस्थानों के शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा किए गए आनुवंशिक अध्ययन (जेनेटिक स्टडी) ने निकोबारी लोगों की आनुवंशिक उत्पत्ति (जेनेटिक ओरिजिन) के बारे में नई जानकारी दी.
सीएसआईआर-सीसीएमबी के एक बयान के अनुसार शोधकर्ताओं ने डीएनए मार्करों का उपयोग करके एक विस्तृत आनुवंशिक विश्लेषण किया जो विशेष रूप से माता और पिता से और माता-पिता दोनों से विरासत में मिले हैं. इससे उन्हें दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई आबादी के साथ निकोबारी लोगों की वंशावली और अनुवांशिक समानता का पता लगाने में मदद मिली.
इस अध्ययन के निष्कर्ष हाल ही में यूरोपीय जर्नल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स में प्रकाशित हुए हैं.
निकोबार द्वीप समूह पूर्वी हिंद महासागर और अंडमान द्वीप समूह के दक्षिण में स्थित है. इस द्वीपसमूह में कार निकोबार और ग्रेट निकोबार सहित सात बड़े द्वीप और कई छोटे द्वीप शामिल हैं, जिनकी विशेषता समतल स्थलाकृति, प्रवाल भित्तियां और रेतीले समुद्र तट हैं. निकोबारी लोगों की अनुमानित संख्या लगभग 25,000 है.
डॉ. थंगराज ने कहा, “पिछले सिद्धांतों ने सुझाव दिया था कि निकोबारी लोगों के भाषाई पूर्वज लगभग 11,700 साल पहले होलोसीन के आरंभिक काल में निकोबार द्वीपसमूह में बस गए थे. हालांकि, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के 1,559 व्यक्तियों को शामिल करते हुए निकोबारी लोगों पर हमारे नए आनुवंशिक शोध से पता चलता है कि निकोबारी लोगों का दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में ऑस्ट्रोएशियाटिक आबादी के साथ साझा किया गया एक महत्वपूर्ण पैतृक संबंध है. लेकिन हमारे अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि निकोबार द्वीपवासी लगभग 5,000 साल पहले ही वहां बस गए थे.”
अध्ययन में विशेष रूप से निकोबारी लोगों के साथ हतिन माल की सामान्य आनुवंशिक समानता पर प्रकाश डाला गया. हतिन माल दक्षिण पूर्व एशिया की मुख्य भूमि में रहने वाली एक आबादी है जो ऑस्ट्रोएशियाटिक भाषा बोलती है. हतिन माल समुदाय ने समय के साथ उल्लेखनीय जातीय विशिष्टता बनाए रखी है जो निकोबारी लोगों से स्पष्ट आनुवंशिक भिन्नता प्रदर्शित करती है.
अध्ययन के मुख्य लेखक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि भाषाई समूहों में साझा किए गए जीनोमिक क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया में ऑस्ट्रोएशियाटिक आबादी के प्राचीन वितरण का सुझाव देते हैं. उन्होंने आगे कहा कि हमारे निष्कर्ष इस बात का ठोस प्रमाण हैं कि निकोबारी और हतिन माल प्राचीन ऑस्ट्रोएशियाटिक विरासत को समझने के लिए वैल्यूएबल जेनेटिक रिप्रेजेंटेटिव हैं.
सीएसआईआर-सीसीएमबी के निदेशक डॉ. विनय के. नंदीकूरी ने कहा, “यह शोध दक्षिण पूर्व एशिया में आनुवंशिक विविधता के समृद्ध ताने-बाने को समझने के लिए नए रास्ते खोलता है और स्वदेशी आबादी की सांस्कृतिक और आनुवंशिक विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर प्रकाश डालता है.”
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एमकेएस/एएस