मध्य प्रदेश में सियासी घरानों की प्रतिष्ठा दांव पर

भोपाल, 16 अप्रैल . मध्य प्रदेश में इस बार का चुनाव सियासी घरानों के भविष्य का फैसला करने वाला होगा. पारिवारिक सियासत की विरासत को संभालने वाले ये प्रतिनिधि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही दलों के हैं.

राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं और यहां चुनाव चार चरणों में होने वाले हैं. इन चुनाव में तीन संसदीय क्षेत्र की खास चर्चा है. यहां सियासी घरानों के प्रतिनिधि चुनाव मैदान में हैं.

गुना से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं राजगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और छिंदवाड़ा से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ चुनाव मैदान में हैं.

बात गुना संसदीय क्षेत्र की करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं. वह पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

सिंधिया राजघराने के गढ़ के तौर पर पहचाना जाता है गुना. ज्योतिरादित्य सिंधिया का यह छठा लोकसभा चुनाव है. इससे पहले हुए पांच चुनाव में से उन्हें चार बार जीत मिली है.

राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से दिग्विजय सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. वे लगभग तीन दशक बाद इस संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. वे वर्ष 1984 और 1991 में यहां से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं मगर वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव भोपाल से लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

इसी तरह छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं. छिंदवाड़ा की पहचान कमलनाथ के पर्याय के तौर पर है. 1980 के बाद हुए 12 चुनाव में से 11 में कमलनाथ परिवार के सदस्य निर्वाचित हुए हैं. सिर्फ 1997 का एक ऐसा चुनाव था जिसमें कमलनाथ को हार मिली थी.

छिंदवाड़ा को भाजपा ने जीत के लिए प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा है और यही कारण है कि पूरी पार्टी इस संसदीय क्षेत्र में जोर लगाए हुए हैं. राज्य की ये तीन संसदीय सीटें ऐसी हैं जिन पर राज्य नहीं देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों की नजर है.

एसएनपी/